आर्थिक शक्ति और शौर्य

By: Mar 4th, 2019 12:06 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेतक हैं और इस आधार पर अर्थव्यवस्था युद्ध की आर्थिक लागत का सामना करने में पाकिस्तान की तुलना में अधिक सक्षम है। इस समय भारत का वार्षिक रक्षा बजट पाकिस्तान से पांच गुना ज्यादा है। भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से करीब नौ गुना बड़ी है और भारत से निर्यात पाकिस्तान की तुलना में करीब 10 गुना अधिक है। ऐसे में पाकिस्तान ने यह बात समझी है कि भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर स्थिति में है…

इन दिनों पूरी दुनिया के अर्थविशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि भारत के आर्थिक रूप से मजबूत होने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध करने का दुस्साहस नहीं कर पाया है। भारत की आर्थिक शक्ति के कारण ही दुनिया के सभी देशों ने पाकिस्तान के आतंकवादी रवैये के खिलाफ भारत का न्यायोचित पक्ष लिया है। भारत के आर्थिक वजूद और वैश्विक आर्थिक मित्रता के कारण ही पाकिस्तान को भारत के वीर सपूत विंग कमांडर अभिनंदन को 59 घंटे बाद ही भारत को सौंपना पड़ा। एक ऐसे समय में जब पाकिस्तान के आतंक के विरुद्ध भारत की आर्थिक शक्ति और शौर्य का परचम आगे बढ़ा है, तब दुनिया में डी.  सुबा चंद्रन की पुस्तक ‘लिमिटेड वॉर ः रीविजिटिंग करगिल इन इंडो-पाक कन्फ्लिक्ट’ को भी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पढ़ा जा रहा है। इस पुस्तक में बताया गया है कि आज से करीब 20 वर्ष पहले मई से जुलाई 1999 के बीच छिड़ी कारगिल की लड़ाई में दोनों देशों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी थी।

अब 20 वर्ष बाद भारत पाकिस्तान से किसी भी युद्ध की स्थिति में आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत मजबूत स्थिति में है। भारत मजबूत आर्थिक स्थिति के कारण युद्ध के भारी खर्चों को वहन करने की स्थिति में है, लेकिन पाकिस्तान ऐसी स्थिति में नहीं है। यही वह कारण है, जिससे पाकिस्तान भारत के सामने घुटने टेकते हुए दिखाई दे रहा है। निश्चित रूप से भारत पाकिस्तान की तुलना में मजबूत आर्थिक स्थिति में है। भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहे हैं। इस समय जहां भारत के विदेशी मुद्रा कोष में 400 अरब डालर संचित हैं, वहीं 7.5 फीसदी विकास दर के साथ भारत दुनिया का सबसे अधिक विकास दर वाला देश है और भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वैश्विक आर्थिक संगठनों की रिपोर्टों में भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ रही चमकीली संभावनाओं वाली अर्थव्यवस्था बताया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है।

इसी तरह से विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 के अंत में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2.6 लाख करोड़ डालर (178.59 खरब रुपए) हो गया। ऐसे में जीडीपी के आंकड़ों के आधार पर भारत फ्रांस को पछाड़कर दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। विश्व बैंक का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था में अच्छा सुधार हुआ है। यदि भारत आर्थिक और कारोबार सुधारों की प्रक्रिया को वर्तमान की तरह निरंतर जारी रखता है, तो वह वर्ष 2019 में ब्रिटेन को पीछे करते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इसमें कोई दोमत नहीं है कि इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालिया जैसी स्थिति में है। पाकिस्तान की विकास दर चार फीसदी से भी कम है। चीन सहित कई विदेशी संस्थाओं पर बहुत अधिक आर्थिक निर्भरता ने पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि पाकिस्तान के पास अपने आयात बिलों का भुगतान करने के लिए कोई विशेष विदेशी जमा पूंजी शेष नहीं बची है। पाकिस्तान का निर्यात कम है और आयात इसका लगभग दोगुना है। पाकिस्तान पेट्रोलियम, इंडस्ट्रियल मेटीरियल और खाद्य तेल जैसी जरूरी चीजों का आयात करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि पाकिस्तान से निर्यात होने वाले काटन की कीमत लगातार घट रही है। एक ओर अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को मिलने वाली अमरीकी आर्थिक मदद में काफी कमी की है और अमरीका ने कहा है कि अगले साल वह इस कटौती में और बढ़ोतरी कर सकता है।

दूसरी ओर चीन से मिल रहे कर्ज पर भी पाकिस्तान को खासा ब्याज देना पड़ रहा है। पाकिस्तान की इकोनॉमी की रफ्तार पर बिजली संकट का ग्रहण लगा हुआ है। नकारात्मक छवि की वजह से पाकिस्तान में विदेशी निवेश लगातार घटता जा रहा है। ऐसे में रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा हालात में पाकिस्तान छह दिन के युद्ध की आर्थिक लागत भी नहीं उठा पाएगा और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डगमगा जाएगी। निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेतक हैं और इस आधार पर अर्थव्यवस्था युद्ध की आर्थिक लागत का सामना करने में पाकिस्तान की तुलना में अधिक सक्षम है। ज्ञातव्य है कि कारगिल युद्ध में भारत और पाकिस्तान को प्रतिदिन करीब 15.15 करोड़ रुपए का खर्च आया था। चूंकि  कारगिल युद्ध कश्मीर के एक छोटे क्षेत्र तक ही सीमित था, लेकिन अब रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह बहुत बड़े क्षेत्र में विस्तृत पैमाने पर भारत-पाक युद्ध छिड़ने की आशंका बढ़ रही है,  उसमें प्रत्येक देश के लिए 5 से 10 हजार करोड़ रुपए प्रति सप्ताह तक व्यय हो सकता है। इस समय भारत का वार्षिक रक्षा बजट पाकिस्तान से पांच गुना ज्यादा है।

साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से बहुत बेहतर स्थिति में है। भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से करीब नौ गुना बड़ी है और भारत से निर्यात पाकिस्तान की तुलना में करीब 10 गुना अधिक है। ऐसे में पाकिस्तान ने यह बात समझी है कि भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर स्थिति में है। अतएव युद्ध होने की दशा में भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की तुलना में बहुत कम क्षतिग्रस्त होगी, लेकिन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। निश्चित रूप से पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ युद्ध की आशंका और पाकिस्तान के घोर आतंकवादी रवैये को भारत के आर्थिक विकास की शक्ति और भारतीय सेना के शौर्य ने रोका है। हमें हमेशा ध्यान में रखना होगा कि आर्थिक रूप से सशक्त भारत को कोई भी पड़ोसी देश युद्ध की चुनौती देने का दुस्साहस नहीं कर सकेगा।


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