ड्रोन से रुकेगा अवैध खनन

By: Mar 12th, 2019 12:01 am

नदी-खड्डों के लिए प्रोपोजल तैयार, हाई कोर्ट ने सरकार को दिया आठ हफ्ते का वक्त

शिमला  – प्रदेश की नदियों और खड्डों में अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार प्रोपोजल तैयार कर रही है। इस प्रोपोजल के तहत प्रदेश की नदियों और खड्डों से अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी। हाई कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने इस प्रोपोजल को अंतिम रूप दिए जाने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह का अतिरिक्त समय देते हुए मामले की सुनवाई 16 मई को निर्धारित की है। ज्ञात रहे कि इस मामले में हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह उन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ  जांच करें, जिनकी वजह से प्रदेश भर में नदियों के किनारों को नीलामी करने में देरी हुई है। मुख्य सचिव ने अदालत को बताया था  कि नदियों के किनारों से खनन किए जाने के लिए पहले लीज पर दिया जाता था, जिससे अवैज्ञानिक तरीके से खनन होने लगा। इसे रोकने के लिए अब नीलामी के जरिए चिन्हित स्थान को खनन के लिए दिया जाता है। अदालत को बताया गया कि इस प्रोसेस के लिए एक लंबे समय की जरूरत होती है, क्योंकि केंद्रीय सरकार से स्वीकृति लेनी जरूरी है। राज्य के मुख्य सचिव और सचिव (उद्योग) से चर्चा के बाद खंडपीठ ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह अपने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताएं कि नदियों के किनारों को खनन के लिए कितने जल्दी नीलाम किया जा सकता है, जिससे अवैध खनन तो रुकेगा ही साथ ही राज्य सरकार के खजाने में भी बढ़ोतरी होगी। एक जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात हाई कोर्ट ने उक्त आदेश पारित किए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अवैध खनन के कारण ऊना स्थित गरनी खड्ड का पानी सूख रहा है। पिछले आदेशों के तहत हाई कोर्ट ने सचिव उद्योग को आदेश दिए दिए थे कि वह अदालत को बताएं कि प्रदेश भर में कितना क्षेत्र है, जिन नदियों से खनन किया जा सकता है। अदालत को बताया गया कि प्रदेश भर में 44400 हेक्टेयर क्षेत्र में से सिर्फ  2350 हेक्टेयर खनन के लिए स्वीकृत किया गया है।


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