नए चरण में लड़ाई
प्रो. एनके सिंह
अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार
अब मोदी के पास अन्य कोई विकल्प नहीं था सिवाय इसके कि वह स्वयं समस्या को हल करते। 26 फरवरी की तड़के सुबह वायु सेना के एक स्क्वैड्रन ने आतंकवादियों के प्रशिक्षण केंद्रों को निशाना बनाते हुए बालाकोट में भी मिग लड़ाकू विमानों के जरिए भारी बम गिरा कर आतंक के केंद्र को नेस्तनाबूद कर दिया। इससे पाकिस्तान सरकार हतप्रभ रह गई तथा वह इतनी भ्रमित हो गई कि उसके सामने यह प्रश्न खड़ा हो गया कि इस पर क्या प्रतिक्रिया दी जाए…
अब इस बात में कोई तर्क नहीं है कि हम पर आतंकी हमले होते रहें और हम बिना कार्रवाई के बातचीत की तैयारी करते रहें। हाल में भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्रों में जो हवाई हमला किया, वह उस स्थान पर था जहां आतंकवादी प्रशिक्षण ले रहे थे और इस हवाई हमले में इस बात का खास ध्यान रखा गया कि नागरिक ठिकानों को कोई नुकसान न पहुंचे। हमारी वायु सेना ने टारगेट को सफलतापूर्वक हिट किया और वे सकुशल वापस लौट आए। इस हवाई हमले ने पूरे विश्व को चकित कर दिया और इससे भी अधिक आश्चर्य भारत को हुआ तथा पाकिस्तान शोक में डूब गया। वे लोग जो यह सोचते हैं कि मामला अब खत्म हो गया है तथा अब भारत सरकार की ओर से आगे की कोई कार्रवाई नहीं होगी, वे गलत साबित हुए हैं। इस तरह के गैर जिम्मेदार तथा शांतिवादी लोग सोचते हैं कि जब भी हम पर हमला होता है तो हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाते हैं जिससे भविष्य में इस तरह के हमले नहीं होंगे, किंतु दुर्भाग्य से ऐसा कुछ नहीं हुआ तथा आतंकवाद जारी रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से निपटने की रणनीति में पूरी तरह बदलाव किया है। पहले उन्होंने इस रोग को मिटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाया तथा संयुक्त राष्ट्र से बात करने के अलावा विविध देशों को भी विश्वास में लिया।
अमरीका के राष्ट्रपति तथा अन्य देशों के प्रमुखों ने मोदी को सतत समर्थन दिया, क्योंकि वे भी इसी तरह के आतंकवाद से पीडि़त हैं। मैं इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हो गया कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बातचीत की तथा उन्हें आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कदम उठाने के लिए कहा। इस अंतरराष्ट्रीय सद्भावना के बाद मोदी ने आंख के बदले आंख वाली नीति को उद्घोषित किया। कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों के वाहन पर आतंकी हमले में 40 जवानों की शहादत ने उन्हें उद्वेलित कर दिया। मोदी ने पहले ही हाफिज सईद तथा अन्य आतंकवादियों की गतिविधियों पर रोक लगाने की गुहार लगाकर संवाद की कोशिश की थी ताकि आतंकवाद पर रोक लगे। उन्होंने पाकिस्तान को इस तरह की आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ विश्वसनीय कदम उठाने के लिए भी चेताया था। इस तरह के संवाद का एक अर्थ था तथा इसके जरिए ही समस्या को हल किया जा सकता था। दुखद यह है कि ऐसा नहीं हुआ और इसके बजाय पाकिस्तान सबूत पर सबूत मांगता रहा। यह दशकों का अनुभव है कि कई डोजियर सौंपने के बाद भी पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अब मोदी के पास अन्य कोई विकल्प नहीं था सिवाय इसके कि वह स्वयं समस्या को हल करते। 26 फरवरी की तड़के सुबह वायु सेना के एक स्क्वैड्रन ने आतंकवादियों के प्रशिक्षण केंद्रों को निशाना बनाते हुए बालाकोट में भी मिग लड़ाकू विमानों के जरिए भारी बम गिरा कर आतंक के केंद्र को नेस्तनाबूद कर दिया। इससे पाकिस्तान सरकार हतप्रभ रह गई तथा वह इतनी भ्रमित हो गई कि उसके सामने यह प्रश्न खड़ा हो गया कि इस पर क्या प्रतिक्रिया दी जाए। कुछ समय के लिए वह दावा करता रहा कि इस हमले में कुछ भी नुकसान नहीं हुआ। परंतु जैसा कि भारतीय वायु सेना के प्रमुख ने प्रश्न उठाया कि अगर कुछ भी नुकसान नहीं हुआ तो पाकिस्तान इतना हो-हल्ला क्यों कर रहा है। एक अन्य हमले में भारतीय वायु सेना ने अमरीका में बने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को गिरा दिया। इस जवाबी कार्रवाई के दौरान एक भारतीय विमान भी क्रैश हो गया तथा उसके पायलट ने पैराशूट से उतरकर पाकिस्तानी जमीन पर लैंड किया। इस पायलट को पाकिस्तान ने तीन दिन के बाद रिहा कर दिया और अब वह सुरक्षित भारत में पहुंच गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने पायलट की इस रिहाई को ‘पीस गैस्चर’ की कार्रवाई का दावा किया है। अब तक पाकिस्तान भारत की भूमि पर हमले करवाकर उसकी चिंता की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा था क्योंकि उसका मानना था कि दोनों देश परमाणु ताकतें हैं और इस ताकत का इस्तेमाल भयानक परिणाम सामने ला सकता है।
ऐसी स्थिति में कोई भी यह नहीं सोच रहा था कि भारत इस तरह की हवाई कार्रवाई को अंजाम दे सकता है। जब यह सब कुछ हुआ तो पाकिस्तान हतप्रभ हो गया तथा प्रधानमंत्री इमरान खान क्षमार्थी की मुद्रा में आकर कहने लगे कि शांति को एक मौका दो। परंतु इस बार मोदी ने निश्चय कर लिया था और उन्होंने जवाबी कार्रवाई की जिम्मेवारी सेना पर छोड़ दी। इसके परिणामस्वरूप सैन्य कार्रवाई हुई तथा भारत में भी लोगों को इस बात का आभास नहीं था कि स्थितियां इतनी जल्दी बदल जाएंगी। अब जबकि हवाई हमले से आतंकी शिविरों को नष्ट किया जा चुका है तथा हमारा पायलट भी भारत सुरक्षित लौट आया है, अब भी मामले का पटापेक्ष हुआ नहीं समझा जाना चाहिए और सेना को सीमा से नहीं लौटना चाहिए। इस बात में अब किसी को संदेह नहीं होना चाहिए क्योंकि वायु सेना प्रमुख भी कह चुके हैं कि अभी आपरेशन जारी है। आतंकवादियों की ओर से भी यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है क्योंकि बालाकोट हवाई हमले के कुछ ही दिनों बाद भारत के पांच सुरक्षा कर्मी और शहीद हुए हैं।
इस मामले में स्थायी शांति के लिए और समझ की जरूरत होगी, किंतु दुर्भाग्य से यह आसान नहीं है क्योंकि वीएस नायपॉल ने पाकिस्तान को ‘आपराधिक उद्यमी’ के रूप में परिभाषित किया है। पाकिस्तान की उपयोगिता व उसकी ताकत आतंकवाद है तथा इसके बिना यह एक संसाधनहीन देश है। आज के समय में दुश्मन देश के भीतर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना सबसे कम खर्चीला काम माना जाता है तथा अपने लक्ष्य पूरे करने के लिए कमजोर समूह इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देते हैं। संयुक्त राष्ट्र का काम राष्ट्रों को शांति के मार्ग पर लाना है, किंतु इस दिशा में काम करने में वह अब तक चुस्ती नहीं दर्शा पाया है। यह मामला ज्यादा विवेचना का विषय है तथा राष्ट्रीय हितों में चल रहे हमेशा के टकराव की स्थिति में ऐसे संघर्षों से निपटने को उसे प्रभावकारी ढंग से काम करना होगा।
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