नया फार्मूला चला तो कटेंगे कई टिकट

By: Mar 22nd, 2019 12:01 am

भाजपा की नई चुवावी नीति से हिमाचल में बदलेंगे समीकरण

धर्मशाला    – भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा देश भर में नई व्यवस्था लागू करने के निर्णय का सियासी असर हिमाचल में भी देखने को मिल सकता है। पार्टी ने जो फार्मूला छत्तीसगढ़ में अपनाया है, अगर वही अंतिम हुआ तो प्रदेश के कुछ सांसदों का टिकट कटना तय है। सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें होगा, जो अपना टिकट पक्का होने का दावा कर रहे हैं। नए निर्णय के बाद देवभूमि में भी चारों सीटों पर चल रही टिकट की टक्कर में कई नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। हारे विधायकों-नेताओं सहित मंत्रियों-सांसदों या उनके रिश्तेदारों को यदि टिकट न देने के निर्णय पर अमल किया गया तो राज्य में सियासी समीकरणों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। ऐसे में टिकट बदलने और अधिक आयु के लोगों को चुनाव लड़ाने के बजाय युवा चेहरों को आगे लाने की कवायद भाजपा को कितना लाभ दे पाएगी, यह भी देखने वाली बात होगी। लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी व संगठन भले ही शिद्दत से काम कर रहे हों, लेकिन प्रत्याशी चयन भाजपा के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। भाजपा पुराने चेहरों को बदलना भी चाहती है, पार्टी के भीतर नए नियमों के तहत अनुशासन भी लाना चाहती है और उसे जीत में भी बदलना चाहती है। इस सब के बीच पार्टी की नई नीति को धरातल पर उतारना मुश्किल बन गया है। पार्टी के इस नए सियासी खेल से विपक्षी ही नहीं पार्टी कार्यकर्ता भी हैरत में हैं। जो लोग यह मान कर चल रहे थे कि भाजपा हिमाचल की चारों सीटों पर पुराने चेहरे ही उतारेगी, वे भी अब हैरत में हैं।

कांगड़ा, मंडी, शिमला में अब क्या होगा

प्रदेश की कांगड़ा, मंडी व शिमला सीटों पर मचे घमासान के बाद अब चारों सीटों पर नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। इस सारे सियासी खेल में भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपनी नीति से किस वर्ग को साधना चाहता है, इस बात का पता तो अब टिकटों की घोषणा के बाद ही चल पाएगा, लेकिन नए निर्णय के बाद डैमेज कंट्रोल से लेकर जातीय समीकरण व अन्य सभी तरह के मामलों से पार्टी कैसे निकल पाती है, यह रोचक होगा।


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