निजता का आधार जरूरी

By: Mar 3rd, 2019 12:04 am

भारत भूषण ‘शून्य’

स्वतंत्र लेखक

उलझने और उलझाने को प्राथमिकता दी जाएगी तो जीवन बेरंगी और बैरंग-सा बीत जाएगा। पुरोहितों के हित कभी यजमान के खाते में सीधे-सीधे नहीं लिखे जाते। जिंदगी को किसी कमीशन एजेंट के भरोसे चलाने से यह अपनी कीमत को ही भूल बैठती है।

आपकी नजर में उनका पैमाना सही होकर टिका है तो जान लीजिए कि आपने उनकी जीत सुनिश्चित कर दी है। अपने आपको जानने के लिए दर्पण ही काफी नहीं। बाहर की यात्रा भले ही विभिन्न अनुभवों के द्वार खोलती है, लेकिन जब तक भीतर के द्वार नहीं खोले जाते, तब तक जिंदगी की सरलता सांप-सीढ़ी के खेल में उलझी रहेगी। साधारण होने की अर्थवता को समझे बगैर जीवन के हर अर्थ को हम झटक देंगे। जो हमारे खेवनहार बनने को व्याकुल हैं, वे अभी अपनी नैया को कोई किनारा नहीं दे पाए हैं। जान लीजिए, जो अभी नेतृत्व देने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, वे अभी अपने घर का रास्ता नहीं जानते। अपने मसलों को ब्रह्मांड का ज्ञान जताने से न मसला समझ में आता है और न जीवन के मसालों का स्वाद पकड़ में आता है। उनकी सभी कथित खूबियां उनकी कमियों को छिपाने का आर्तनाद हैं।

किसी का भी विवेक उसके अपने ज्ञान का जन्मदाता होगा। आपके लिए उसकी महत्ता उस अर्थ में कभी प्रकट नहीं होने वाली। मेरे लिए मेरे होना और मेरा जानना ही किसी सार्थक विकल्प का पथ बनेगा। वे जिस आजादी की परिभाषा गढ़ रहे हैं, वह उनके संरक्षण और उनकी सुरक्षा को मजबूत करेगी। आपके लिए आपकी स्वतंत्रता के जो मायने हैं, उन्हें उनके भरोसे छोड़ देने से वे आपको कठपुतली बनाने के सभी रास्ते खोल देंगे। अपनी निजता को जाने बिना किसी और की निजता की आजादी का विचार बेमतलब है। मुझे मेरे अंगों का नियंत्रण करना आना चाहिए वरना कोई भी राह चलता मुझे बरगला देगा। अपनी खूबियों को उनके चश्मे से आंकने और देखने की आदत को त्यागे बिना और कोई रास्ता नहीं।


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