पपरोला होली को मान्यता कब

By: Mar 19th, 2019 12:06 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

बैजनाथ के प्रवेश द्वार पपरोला का ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्त्व बेहद प्राचीन है। पपरोला शहर राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय, बैजनाथ फार्मेसी, सत्यनारायण मंदिर, राम मंदिर और खूह  बाजार के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि 6 जनवरी, 2019 को अपने पपरोला दौरे के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पपरोला होली मेले को जिला स्तरीय होली मेले के रूप में मान्यता देने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन अभी तक उसकी नोटिफिकेशन न होने के कारण इस बार भी इस मेले का आयोजन स्थानीय होला मेला समिति के द्वारा ही किया जा रहा है…

होली त्योहार के साथ जुड़ी हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की कहानी में हिरण्य की बहन होलिका की कथा से लगभग सभी भारतीय परिचित ही हैं। संदेश स्पष्ट है कि हमें पहले अपने अंदर छिपी हुई बुराई एवं बुरे विचारों को जलाकर दया, करुणा तथा प्रेम रंग को प्रमुखता देनी चाहिए। इसके अलावा फाल्गुनी पूर्णिमा पर नई फसल पर किया जाने वाला यज्ञ भी होली की आग की लपटों के मध्य संपन्न किया जाता है, जिसमें गेहूं, चने तथा जौं इत्यादि नवान्न की बालियों का होम करके अग्नि की परिक्रमा करने का विधान है। इस प्रकार होली का त्योहार आपसी मनमुटाव एवं राग, द्वेष भुलाकर आपस में गले मिलने का भी दिन है। यह त्योहार रंग, उल्लास और उमंग के साथ-साथ प्रेम तथा भाईचारा बढ़ाने का संदेश भी देता है।

होली उत्सव की चर्चा हो, तो जिला कांगड़ा में  उपमंडल बैजनाथ के पपरोला कस्बे के होली मेले की बात करना जरूरी हो जाता है। होली मेले का इतिहास तकरीबन 150 वर्ष पुराना है। बाबा ज्ञान दास जी का संबंध इसी कस्बे से रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर मुख्य बाजार की सड़क के पीछे खूह बाजार वाली गली के निकट इनका मंदिर है, जहां इन्होंने समाधि ली थी। इसके बाद ओमओम स्वामी जी ने पपरोला में अध्यात्म का अलख जगाया था। पंडित लक्ष्मणदास शर्मा और पंडित हेमराज शर्मा का परिवार इनकी श्रद्धा भावना से सेवा करता रहा और इनके निर्देशानुसार आज से 125 वर्ष पूर्व होली मेले तथा झांकी निकालने की जो परंपरा शर्मा परिवार ने शुरू की थी, उसे बाद की पीढि़यों ने भी जारी रखा है। होली मेले की शुरुआत सबसे पहले बाबा ज्ञान दास मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद झंडा चढ़ाने की रस्म के बाद शोभायात्रा के साथ होती है।

होली मेला कमेटी पपरोला के अध्यक्ष संजय सोनी के अनुसार इस बार 17 मार्च, 2019 को झंडा चढ़ाने की रस्म के साथ मेले की भव्य शुरुआत होगी और 21 मार्च, 2019 को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन शाम को होलिका दहन के साथ मेले का समापन होगा। मेले के आखिरी दिन पिछले 125 वर्षों से शर्मा परिवार द्वारा अविराम लगातार नियमित रूप से काली माता की भव्य झांकी निकाली जा रही है, जो भक्तों, श्रद्धालुओं एवं महिलाओं के बीच भारी आकर्षण का केंद्र रहती है। मेले के दौरान बच्चों एवं महिलाओं से जुड़ी कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी करवाया जाता है। मेले का सर्वाधिक आकर्षण बाजार के अलग-अलग नुकड़ों के दुकानदारों द्वारा निकाली जाने वाली आकर्षक एवं मनमोहक झांकियां रहती हैं। चार दिनों तक रोजाना शाम के समय निकाली जाने वाली झांकियों का चित्रण, रूपरेखा, साज-सज्जा, विषय वस्तु तथा प्रस्तुतीकरण हर बार नया-निराला और अद्भुत होने के कारण हजारों की संख्या में मेले में आने वाले दर्शकों के बीच यह झांकियां चर्चा, आकर्षण तथा कौतूहल का विषय रहती हैं। प्रशासन, ट्रैफिक तथा सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा बखूबी संभालता है। होली मेला कमेटी द्वारा प्रतिवर्ष सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार भी दिया जाता है। बैजनाथ उपमंडल के पपरोला शहर के इतिहास की चर्चा करें, तो विद्वानों

के मतानुसार पपरोला का प्राचीन नाम

पापरोला था। संस्कृत में पाप-रोला, पापम् रोल्यति इति अर्थात इसे पापों को नष्ट करने वाला स्थान भी कहा जाता है, जो बाद में अपभ्रंश होकर पपरोला नाम से प्रसिद्ध हुआ।

जनश्रुतियों के अनुसार स्वयं बाबा बैजनाथ शिव शंकर ने इस स्थान का नामकरण पार्वतीपुर किया था। बैजनाथ भोले भक्त रावण की तपस्थली मानी जाती है और रावण की सोने की लंका दहन की घटना से सभी परिचित ही हैं। बैजनाथ शहर में जहां एक भी सुनार की दुकान नहीं है, तो वहीं पपरोला शहर में दर्जनों सुनारों की दुकानें हैं। पपरोला, बैजनाथ उपमंडल का प्रमुख व्यावसायिक केंद्र भी है। पपरोला के निकट बुहली कोठी नामक स्थान के पास बहने वाली पुन्न खड्ड का शास्त्रोक्त नाम ‘पुण्या’ है, जहां धार्मिक त्योहारों के दौरान पवित्र स्नान का उल्लेख मिलता है। इस प्रकार से देखा जाए तो बैजनाथ के प्रवेश द्वार पपरोला का ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्त्व बेहद प्राचीन है।

पपरोला शहर राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय, बैजनाथ फार्मेसी, सत्यनारायण मंदिर, राम मंदिर, खूह  बाजार और बिनवा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि 6 जनवरी, 2019 को अपने पपरोला दौरे के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पपरोला होली मेले को जिला स्तरीय होली मेले के रूप में मान्यता देने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन अभी तक उसकी नोटिफिकेशन न होने के कारण इस बार भी इस मेले का आयोजन स्थानीय होला मेला समिति के द्वारा ही किया जा रहा है। सरकारी संरक्षण मिलने से होली मेले का आकर्षण तो  बढ़ेगा ही, वहीं इससे पर्यटन एवं व्यावसायिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे क्षेत्र के लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचेगा, तो वहीं मेले की भव्यता और प्राचीनता का भी सम्मान बहाल होगा।


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