प्लेग सर्विलांस सेंटर बंदी मामले में जवाब तलब

By: Mar 1st, 2019 12:01 am

शिमला  – प्लेग सर्विलांस सेंटर में स्टाफ की कमी से लटके ताले पर सरकार ने स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है। जिसमें सरकार ने स्वास्थ्य विभाग से पूछा है कि उक्त केंद्र में स्टाफ का क्या स्टेटस है और लैब की सक्रियता के लिए जरूरी मापदंड क्या है? ऐसी क्या कमी रही है कि उक्त केंद्र को चलाना मुश्किल है। गौर हो कि रोहड़ू में आतंक मचा चुके प्लेग की संवेदनशीलता के दायरे में राज्य के अन्य क्षेत्र भी शामिल हैं, जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग को अपने स्तर पर सतर्कता बरतनी जरूरी है। वर्ष 2002 में शिमला के रोहड़ू क्षेत्र में प्लेग ने काफी आतंक मचाया था, जिसमें प्रदेश के डाक्टर रोटेला का काफी योगदान रहा है। जब यह वायरस शिमला में फैला था तो उस दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को शिमला आना पड़ा था। यह वायरस इतना खतरनाक होता है कि जलाने से भी नहीं जलता है। गौर हो कि  ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा यह मामला उठाया गया है, जिस पर प्रदेश सरकार ने भी गंभीरता जाहिर की है। मामला पहले से ज्यादा इसलिए भी शिमला के लिए खतरनाक है क्योंकि शिमला में लगातार बर्फबारी से प्लेग का खतरा है और राज्य, चूहों और मानव खून के सैंपल जांच के लिए नहीं ले पा रहा है। नतीजा यह है कि प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की ओर से शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में चूहों और मानव खून का एक भी सैंपल इस दौरान लगातार बर्फबारी में नहीं लिया गया है। बर्फबारी में सबसे ज्यादा जंगली चूहे घरों के अंदर आते हैं और प्लैग का खतरा इस दौरान सबसे ज्यादा रहता है।लिहाजा सरकार ने विभाग से जवाब तलब कर लिया है।

राउंड सर्किल हो चुका है पूरा

शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में फैले प्लेग क ा दस वर्ष का राउंड सर्किल पूरा हो गया है। विशेषज्ञों ने साफ किया है कि दस वर्ष के बाद बीमारी के फैलने की अन्य क्षेत्रों में आशंका ज्यादा रहती है, लिहाज़ा शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में समय दर समय मानव के खून और चूहों के सैंपल जांच के लिए लैब भेजने बेहद आवश्यक रहते हैं। बेहद खतरनाक बीमारी प्लेग की स्थिति को देखें तो पिछले वर्ष अगस्त में बंगलूर से टीम शिमला आई थी। इस टीम ने शिमला से चूहों और मानव खून का सैंपल लिया है, लेकिन डब्लूएचओ भी यह साफ कर चुका है कि राज्य को भी प्लेग पर नज़र रखने के लिए अपना सर्विलांस सेंटर रखना जरूरी रहता है।

 


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