बडू साहिब में बताई त्रिशूल नीति

By: Mar 29th, 2019 12:10 am

राजगढ़—इटरनल विश्वविद्यालय बडू साहिब में एकदिवसीय बौद्धिक संपत्ति अधिकार विषय पर  कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला एचपी, पीआईसी द्वारा प्रायोजित थी। इस कार्यशाला में डा. परीक्षित बंसल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। डा. परीक्षित बंसल पूर्व अध्यक्ष आईपीआर   एवं तकनीकी सैल, एनआईपीईआर मोहाली तथा  आईसीएआर में सीनियर वैज्ञानिक रह चुके हैं तथा साथ ही वर्तमान में बौद्धिक एसोसिएट्स के फाउंडर हैं। कार्यक्रम की शुरुआत शब्द धन-धन भाग हमारे घर आया पीर मेरा से की गई, जबकि कार्यक्रम में वक्ता  कोंपल बंसल , आईपी एसोसिएट्स की निर्देशक  शुश्री पूजा, संस्थापक व निर्देशक इंटेलेक्ट एंड इंनोव और आईपीआर सैल, हिम कोस्ट शिमला के संयोजक शशिधर, विशेष तौर पर उपस्थित थे। कार्यशाला के संयोजक डा. सुनील ने बताया की बौद्धिक संपत्ति अधिकार अनुसंधान, क्षेत्र की विशिष्ठता, डिजाइन, कॉपीराइट आदि पर प्रदान किया जाता है। आईपीआर से तकनीकी के क्षेत्र में स्पर्धा में अग्रणी भूमिका मिलती है तथा अर्थव्यवस्था में भी महत्त्वपूर्ण योगदान मिलता है। डा. परीक्षित बंसल ने पेटेंट कि महत्ता का बौद्धिक संपत्ति को सुरक्षित रखने तथा कौन सी वस्तुओं का पेटेंट हो सकता है, के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी साझा की। उन्होंने त्रिशूल नीति के बारे में बताया कि एक उत्पाद के अंदर पेटेंट प्राप्ति के लिए उत्पाद में नयापन, अविष्कार शील तथा औद्योगिक उपयोग होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि पेटेंट के द्वारा एक विज्ञानिक अपने अनुसंथान को सुरक्षित रखता है व उसका जनकल्याण के लिए प्रचार भी कर सकता है। पेटेंट उत्पाद में विविधता, डिवेलपमेंट, नयापन आदि हर प्रकार व तकनीकी में किया जा सकता है। मिस पूजा ने पेटेंट करने के नियमों व पद्धति के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। डा. कोंपल बंसल ने अपने संबोधन में बताया कि पेटेंट अटॉर्नी को एक विज्ञानिक को क्या बताना चाहिए। वहीं शशिधर ने भौगोलिक संकेतो, जिनका पेटेंट किया जा सकता है की जानकारी दी। इस अवसर पर इटरनल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तथा आईपीआर सैल, इटरनल यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष डा. एचएस धालीवाल, कार्यक्रम की तकनीकी सेशन प्रभारी डा. सपना ठाकुर, डा. सुषमा शर्मा  तथा कार्यशाला के सहसंयोजक डा. कमल किशोर तथा डा. पुनीत नेगी रहे। सेवानिवृत्त आर्मी कैप्टन परमजीत सिंह ने कार्यक्रम के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई।


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