भाजपा ने 1989 में तीन सीटों से खोला खाता

By: Mar 29th, 2019 12:20 am

शिमला छोड़ बाकी संसदीय क्षेत्रों में खिला था कमल, 1977 में जनता पार्टी को हमीरपुर में कामयाबी

शिमला –देश और प्रदेश की वर्तमान राजनीति में दाग जमाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार 1989 में तीन सीटों के साथ राज्य में अपना खाता खोला था। उससे पहले लोकसभा चुनावों में भाजपा किसी भी सीट पर नहीं जीत पाई। उस साल शिमला को छोड़ हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी सीट पर भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिली। पूर्व के चुनावी गणित पर गौर करें तो 1989 के लोकसभा चुनाव में हमीरपुर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, कांगड़ा से शांता कुमार और मंडी सीट से महेश्वर सिंह की जीत हुई, जबकि शिमला में भाजपा हारी। कांगड़ा सीट की बात करें तो 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस को ही जीत मिलती रही, जबकि 1977 में भारतीय लोकदल ने खाता खोला। उसके बाद फिर से 1980 और 1984 में कांग्रेस, 1989 और 1991 में भाजपा, 1996 में कांग्रेस, 1998 और 1999 में भाजपा, 2004 में कांग्रेस, 2009 में भाजपा और 2014 के चुनाव में फिर से भाजपा को जीत मिली। हमीरपुर संसदीय सीट की बात करें तो यहां पहले चुनाव में निर्दलीय और उसके बाद 1967 और 1971 में कांग्रेस, 1977 में जनता पार्टी, 1980 और 1984 में कांग्रेस, 1989 और 1991 में भाजपा, 1996 में कांग्रेस और उसके बाद 1998 से लेकर अब तक लगातार यहां भाजपा को ही जीत मिली है। मंडी संसदीय सीट पर 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस, 1977 में कांग्रेस और भाजपा को भारतीय लोकदल ने पराजित किया था। उसके बाद 1980 से लेकर 1984 तक कांग्रेस, 1989 में भाजपा, 1991 और 1996 के चुनाव में कांग्रेस, 1998 और 1999 में भाजपा, 2004 से 2013 तक कांग्रेस और अब 2014 के चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी। हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी को छोड़ शिमला संसदीय सीट पर कांग्रेस ने दूसरे राजनीतिक दलों को टिकने नहीं दिया। यहां सिर्फ 2009 और 2014 के चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। हालांकि इस सीट पर वर्ष 1999 के चुनाव में हिमाचल विकास कांग्रेस की जीत हुई थी।

कांगड़ा में अब तक 20 चुनाव

कांगड़ा संसदीय सीट पर अब तक 20 चुनाव हुए हैं। हालांकि देश में पहली बार 1952 में आम चुनाव हुए थे, लेकिन यहां पहले ही साल में दो बार चुनाव हुए। यानी एक आम और एक उपचुनाव। इसी तरह से 1957 में भी ऐसा ही हुआ। वर्ष 1967 में भी फिर से यहां दो चुनाव हुए। यानी 1952 से लेकर 2014 तक कांगड़ा संसदीय सीट पर 20 बार चुनाव हुए। शिमला संसदीय सीट की बात करें तो यहां पर 19 बार चुनाव हुए।


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