मीट उत्पादन में शिमला-कांगड़ा आगे

By: Mar 14th, 2019 12:15 am

प्रदेश में दूसरे साल चार हजार टन का आंकड़ा पार, 2016-17 में टारगेट से ज्यादा प्रोडक्शन

पालमपुर – प्रदेश में मीट उत्पादन का ग्राफ लगातार दूसरे वर्ष चार हजार टन का आंकड़ा पार कर गया है। इसमें 50 फीसदी के करीब योगदान शिमला और कांगड़ा जिला का रहा है। 2016-17 के लिए प्रदेश में मीट के उत्पादन का लक्ष्य 4.13 मीट्रिक टन रखा गया था, जबकि उत्पादन 4.40 मीट्रिक टन रहा। 2017-18 में प्रदेश में मीट उत्पादन का ग्राफ साढ़े चार हजार टन के करीब पहुंच गया। 2011-12 में प्रदेश में 3.97, 2012-13 में 4, 2013-14 में 3.99, 2014-15 में 4, 2015-16 में 4.01, 2016-17 में 4.40 और 2017-18 में 4.49 हजार टन मीट का उत्पादन हुआ। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में मीट की आपूर्ति के लिए सबसे अधिक पोल्ट्री की संख्या उपयोग में लाई जा रही है। 2017-18 में पोल्ट्री से 1.19 हजार टन मीट प्राप्त हुआ। प्रदेश में मांसाहारी लोगों की पहली पसंद बकरे का मीट है और इसकी आपूर्ति में शिमला और कांगड़ा जिला अग्रणी बने हुए हैं। जिला कांगड़ा में लगातार दूसरे साल मीट उत्पादन का आंकड़ा एक हजार टन पार कर गया है। 2016-17 में जहां जिला कांगड़ा में 1035.19 टन मीट का उत्पादन हुआ वहीं 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 1099.12 टन तक जा पहुंचा है। शिमला में 2016-17 में 994.229 टन मीट का उत्पादन हुआ तो 2017-18 में यह आंकड़ा 1012.229 टन रहा। हालांकि यह उत्पादन 2008-09 के अपने ही 1186.984 टन के रिकार्ड उत्पादन से काफी कम है। कांगड़ा और शिमला जिला के अलावा प्रदेश का अन्य कोई जिला मीट उत्पादन में तीन सौ टन का आंकड़ा नहीं छू पाया है। 2017-18 में मंडी में 263.963, कुल्लू में 224.202, किन्नौर में 121.337, लाहुल-स्पीति में 128.573, चंबा में 102.952, सोलन में 94.661, सिरमौर में 87.422, हमीरपुर में 71.982, बिलासपुर में 55.015 और ऊना में 35.94  टन मीट का उत्पादन हुआ।

पोल्ट्री ने भी लगाई छलांग

प्रदेश में मीट की डिमांड पूरी करने में पोल्ट्री अहम रोल अदा कर रही है। पोल्ट्री मीट उत्पादन ने दो साल में जबरदस्त छलांग लगाई है। 2015-16 तक जहां प्रदेश में पोल्ट्री से मीट की आपूर्ति छह सौ टन से कम थी, वहीं 2016-17 में 1054.755 और 2017-18 में 1194.949 टन मीट का उत्पादन हुआ। बहरहाल, प्रदेश में मीट उत्पादन ने रफ्तार पकड़ रखी है। 2017-2018 में उत्पादन का ग्राफ साढ़े चार हजार टन के करीब है।

 


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