राजनीतिक ‘पंजे’ में कैद आजाद उम्मीदें

By: Mar 27th, 2019 12:02 am

शिमला —राजनीति के पंजे में निर्दलीय उम्मीदवारों की उम्मीदों पर हमेशा से ही पानी फिरते आ रहा है। प्रदेश में हमीरपुर संसदीय सीट से पहली बार किसी निर्दलीय उम्मीदवार ने लोकसभा का चुनाव जीत कर दिखाया तो वह सिर्फ आनंद चंद थे। उन्होंने देश में हुए पहले चुनाव में ही कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों को पस्त कर दिया। आनंद चंद ने हिमाचल ही नहीं, बल्कि उस चुनाव में पूरे देश में भी इतिहास रचा था। हिमाचल की हमीरपुर सीट को छोड़ देश के अन्य किसी भी संसदीय क्षेत्रों में निर्दलीय प्रत्याशी जीत नहीं पाए। उसके बाद आज तक हिमाचल की किसी भी संसदीय सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत नहीं हो पाई। हालांकि हर बार के चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए आजार मैदान में उतरते हैं, लेकिन वोटर्स ही उन्हें ठुकरा देते हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों पर गौर करें तो उस साल 11 निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन कांग्रेस और भाजपा के सामने पूरी तरह से बौने दिखाई दिए। पिछली बार कांगड़ा ससंदीय सीट से चार निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरे। मंडी सीट से दो, हमीरपुर सीट से चार और शिमला संसदीय क्षेत्र एक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में था। इतिहास गवाह है कि हमीरपुर संसदीय सीट पर 1952 के चुनाव को छोड़ सभी निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त होती रही। अब देखना है कि इस बार के लोकसभा चुनावों में कितने निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरते हैं।

विधानसभा में आजाद

विधानसभा चुनाव 2017 की बात करें तो दो विधानसभा क्षेत्रों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने कांग्रेस और भाजपा को पटकनी देते हुए चुनाव जीत कर आए। देहरा से निर्दलीय होशियार सिंह ने भाजपा के रविंद्र रवि को हराया। जोगिंद्रनगर से प्रकाश राणा ने भाजपा के गुलाब सिंह ठाकुर को पराजित किया।

जीते, तो मिलेगी पार्टी

विधानसभा चुनाव जीतने वाले अधिकांश निर्दलीय विधायक किसी न किसी राजनीतिक पार्टी में सिलेक्ट हो ही गए। वर्ष 2012 में निर्दलीय चुनाव जीत कर आए तीनों विधायकों को कांग्रेस और भाजपा ने अपने साथ जोड़ लिया। चौपाल के विधायक बलबीर वर्मा भाजपा, कांगड़ा से पवन काजल कांग्रेस और इंदौरा से पूर्व विधायक मनोहर धीमान को भाजपा ने पार्टी में शामिल कर दिया।  हालांकि 2012 में सुजानपुर से राजेंद्र राणा भी निर्दलीय चुनाव जीते, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होेंने कांग्रेस ज्वाइन किया तो उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा।

 


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