विसंगतियों को उजागर करती कविताएं

By: Mar 17th, 2019 12:04 am

पुस्तक समीक्षा

काव्य संग्रह का नाम : बंद किवाड़ों से झांकती धूप

कवयित्री : पूजा सूद ‘डोगर’

पुस्तक का मूल्य : 400 रुपए

प्रकाशक : एजुकेशनल बुक सर्विस, नई दिल्ली

सच पूछा जाए तो साहित्य के क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। आवश्यकता है उन्हें प्रोत्साहन देकर आगे लाने की। पूजा सूद ‘डोगर’ का जन्म एक साहित्यिक परिवार में माता कमलेश सूद व पिता डा. विनोद सूद के घर हुआ। किसी नन्हे बीज का जब सही स्थान पर रोपण होता है तो अनुकूल परिस्थितियों में उसका अंकुरण भी सही होता है और वह एक हरे-भरे पौधे का रूप धारण कर समाज को लाभान्वित करता है। अपने मन के भावों को कलम से उभारना पूजा सूद ने अपनी माता कमलेश सूद से सीखा है जो एक सफल कवयित्री हैं। अपनी संतान की साहित्यिकता की तरफ जागृति निःसंदेह माता-पिता के लिए हर्षोल्लास की बात है। एक मां की उम्मीदों की वो नींव जिस पर उसने अपने संवरते हुए भविष्य का महल खड़ा किया हो, उसकी संतान अगर इसे सुशोभित कर रही है तो निश्चित रूप से वो महल सफलता की बुलंदियों को छूता हुआ जिंदगी की तमाम खुशियों को समेट कर मां-बाप की झोली में डालने के बराबर है। आज पूजा सूद डोगर का प्रथम काव्य संग्रह ‘बंद किवाड़ों से झांकती धूप’ आपके समक्ष है। सच पूछा जाए तो जिंदगी में कोई भी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए इच्छा-शक्ति का प्रबल होना, अनथक परिश्रम तथा घर-परिवार में अपनों का सहयोग व माता-पिता व परमात्मा का आशीर्वाद होना अति आवश्यक है। कवि या लेखक बनने के लिए इनसान को अपनी अंतरात्मा को उजागर करना पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप वह जीवन के हर पहलू को गहराई से देखता है, उस पर मनन करता है तथा प्रत्येक घटना को कलम से उभारकर उसमें प्राकृतिक रंग भरते हुए अपनी भावना को प्रदर्शित करता है। कवयित्री ने स्नातक की उपाधि विज्ञान में ली है, इसलिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखती हैं तथा अंग्रेजी विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि लेकर साहित्यिक रंग भी अपनी कविताओं में उंडेला है। अपनी प्रथम कविता ‘परम आत्मा : मां’ में मां की तुलना परमात्मा से करते हुए कवयित्री कहती हैं :

भगवान की तरह धरे हुए हाथ शशि पर

जाने कितनी आशीषों से

भर देती हो झोली रोज

मां।

इसी तरह अन्य कविताओं में भी कवयित्री ने कोई न कोई सामाजिक संदेश सहज व सरल भाषा में दिया है। इस काव्य संग्रह का नाम बिल्कुल सटीक है। कवयित्री कविता लेखन के साथ-साथ चित्रकारिता में भी रुचि रखती हैं, इसलिए इस पुस्तक का मुख पृष्ठ भी उन्होंने खुद ही बनाया है। कवयित्री ने जीवन के हर पहलू को छूते हुए समाज में व्याप्त विसंगतियों, कुरीतियों को उजागर किया है। पुस्तक में प्रयुक्त कागज उत्तम प्रकार का है। भीतर की सामग्री में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं है। उम्मीद है कि ये कविताएं पाठकों की उम्मीदों पर खरा उतरेंगी। अंत में कवयित्री को इस काव्य संग्रह के सृजन के लिए बधाई।

 -अनिता भारद्वाज


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App