सुपर-स्पेशलिस्ट बनने का सपना टूटा

By: Mar 27th, 2019 12:02 am

प्रदेश सरकार ने मंजूर नहीं की 20 डाक्टरों की एनओसी, नई पीजी पॉलिसी की शर्त से दिक्कत

शिमला  —सुपर-स्पेशलिस्ट बनने के लिए 20 डाक्टरों की एनओसी प्रदेश सरकार ने नामांजूर कर दी है। प्रदेश के डाक्टरों को ही नहीं, बल्कि प्रदेश की सुपर-स्पेशलिटी सेवाआें को भी झटका लगा है। ये डाक्टर प्रदेश से बाहर के मेडिकल कालेजों में सुपर-स्पेशलिस्ट बनने के लिए जाना चाहते थे। इसमें डाक्टरों ने पीजीआई और एम्स के लिए आवेदन करना था, लेकिन उनको प्रदेश सरकार से परमिशन ही नहीं मिल पाई है। इसमें ऑर्थाे, न्यूरो, कार्डिक, पीडियाट्रिक्स में स्पेशलिज्म करने के लिए आवेदन करना था, जिसके लिए मंजूरी नहीं मिली है। इसकी पुष्टि आरडीए अध्यक्ष डा. अजय जरियाल ने की है। सरकार की संशोधित पॉलिसी के तहत यह निर्देश आए हैं कि उन्हें सुपर-स्पेशलिस्ट का एग्जा़म देने के लिए चार वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा। यानी चार वर्ष तक इन पीजी डाक्टर को प्रदेश में ही सेवाएं देनी पडं़ेगी। इसी कारण उनको एनओसी नहीं मिल पाई है। प्रदेश सरकार ने नई पीजी पॉलिसी में एक ऐसी शर्त लगा दी है, जिससे डाक्टरों का स्पेशलिस्ट बनने में अब बड़ी परेशानी खड़ी हो रही है। सरकार द्वारा बनाई गई पीजी पॉलिसी में यह शर्त लगाई गई है कि स्पेशलिस्ट का एग्जाम देने के लिए प्रदेश के चिकित्सकों को चार वर्ष का इंतजार करना होगा। दूसरी तरफ प्रदेश के अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डाक्टर्स की कमी होने से लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

कई विभागों में ताला

डाक्टर्स का मानना है कि इस मामले में सरकार को राहत देनी चाहिए। आरडीए ने इस परेशानी को प्रदेश मुख्यमंत्री के समक्ष भी रखा है, लेकिन इस पर कोई फॅसला नहीं लिया गया है। उनका कहना है कि सरकार उन डाक्टर्स से बांड भरवा सकती है कि जो स्पेशलिस्ट की परीक्षा देने एम्स और पीजीआई जाएंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि टांडा मेडिकल कालेज में तो उद्घाटन के बाद चार-पांच विभागों को स्पेशलिस्ट मिल ही नहीं पाए हैं। इससे लोगों को स्थास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

सुपर-स्पेशलिज्म की हालत

प्रदेश में स्पेशलिज्म की बहुत क म सीटें हैं। प्रदेश से बाहर एम्स और पीजीआई में स्पेशलिस्ट की परीक्षा देने के लिए प्रदेश से हर वर्ष 30 से 40 डाक्टर ट्राई करते हैं। इनमें आठ से दस डाक्टर ही पास हो पाते हैं। प्रदेश में लगभग 400 सुपर-स्पेशलिस्ट की कमी है। इनमें गायनी, ऑर्थाे, प्लास्टिक सर्जरी, कार्डिक के डाक्टरों की बेहद कमी है। अब ऐसे में आरडीए का मानना है कि ये डाक्टर भी अब प्रदेश से बाहर पढ़ाई नहीं कर पाएंगे, क्योंकि सरकार ने प्रदेश में चार वर्ष काम करने की बड़ी शर्त लगा दी है।


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