एमपी ने चूड़धार से निकाले नागरिक

By: Apr 17th, 2019 12:20 am

जंगल में फंसे युवक-युवती को खोजती रही प्रदेश की टीम, मध्य प्रदेश का हेलिकॉप्टर सुरक्षित ले उड़ा

नौहराधार —चूड़धार यात्रा पर गए मध्य प्रदेश व पंजाब के दो श्रद्धालु दो दिनों से लापता हुए थे, जिन्हें हेलिकॉप्टर के एक घंटे के सफल रेस्क्यू आपरेशन के बाद सुरक्षित निकाला गया। सोमवार को श्रद्धालुओं के लापता होने की सूचना मिलते ही प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। सूचना मिलते ही पुलिस, वन विभाग, राजस्व विभाग, उद्यान विभाग, लोक निर्माण व स्थानीय लोगों ने सोमवार रात से सर्च आपरेशन शुरू कर दिया था। इस सर्च आपरेशन में एसडीएम संगड़ाह राहुल कुमार, तहसीलदार नौहराधार राजीव रांटा भी मौके पर पहुंचकर इस आपरेशन में शरीक हुए। जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के नितेश(29) हिमांशी शर्मा (27) निवासी लुधियाना   शनिवार शाम को नौहराधार पहुंचे। रात को वह दोनों वहां एक होटल में रुके हुए थे। रविवार सुबह दोनों   चूड़धार के लिए रवाना हुए थे, मगर रास्ते में बर्फ अधिक होने के कारण वह चूड़धार नहीं पहुंच पाए थे। इसलिए उन्होंने रात एक गुफा में गुजारी थी। सुबह करीब 10 बजे दोनों यात्री चूड़धार पहुंचे। मंदिर में शिरगुल महाराज के दर्शन करने के बाद जब वह चूड़धार से नौहराधार की तरफ आ रहे थे तो चूड़धार के समीप ही वह रास्ता भटक गए। उन्होंने तीसरी नामक स्थान से नीचे जंगल से सोमवार करीब छह बजे शक्ति बटन ऐप से पुलिस को सूचना दी। तभी सोमवार रात को पुलिस का दल व अन्य लोग लापता हुए लोगों को तलाशने के लिए जंगल की ओर रवाना हुए। मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे इन दोनों ने सिग्नल आने पर अपनी लोकेशन के फोटो पुलिस को दिए, मगर सर्च आपरेशन करने वाले लोगों को इनकी भेजी लोकेशन नहीं मिली। प्रशासन ने डिजास्टर मैनेजमेंट का हेलिकॉप्टर भी बुक किया था, मगर उससे पहले करीब साढ़े चार बजे मध्य प्रदेश से एक हेलिकॉप्टर आया और रेस्क्यू कर इन दोनों यात्रियों को सुरक्षित मध्य प्रदेश पहुंचाया गया। सवाल इस बात का उठता है कि प्रशासनिक रोक के बावजूद लोग क्यों चूड़धार के लिए रवाना हो रहे हैं। जब चोटी पर अत्याधिक बर्फ है तो ट्रेकर्स को चढ़ाई न करने के लिए क्यों नहीं रोका जा रहा है।

 इसी जंगल में खो गई थी नन्ही श्रुति 

जिला शिमला के पुलवाहल की सात वर्षीय श्रुति इसी जंगल से धुंध के चलते अपने मां-बाप से बिछड़ गई थी। रेस्क्यू टीम द्वारा एक माह तक जंगल का चप्पा-चप्पा छाना था, मगर वह सुरक्षित नहीं मिल पाई। चार माह बाद श्रुति के कंकाल मिले थे। 


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