डिपुओं में अंग्रेजी खाद खोखला है जीरो बजट खेती का राग

By: Apr 28th, 2019 12:08 am

हिमाचल सरकार आए दिन दावा करती है कि किसाना जीरो बजट खेती की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन अगर आप सरकारी डिपुओं में देखें, तो वहां अंग्रेजी खाद की भरमार में कोई फर्क नजर नहीं आएगा। बेशक, सरकारी आंकड़ाां में अंग्रेजी खादी घटी, है, लेकिन यह समुद्र से महत एक घड़ा पानी निकालने के बराबर है।

एक ओर हिमाचल सरकार जीरो बजट खेती के जरिए किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है,लेकिन दूसरी ओर डिपुओं में अंग्रेजी खाद की भरमार है। जयराम ठाकुर सरकार के इन्हीं दावों की पड़ताल के लिए इस बार दिव्य हिमाचल वेब टीवी टीम ने डिपुओं में बिकने वाली खाद के भंडारों की पड़ताल की,तो पता चला कि जीरो बजट की बात करना जितना आसान है,उसे लागू करना उतना ही कठिन है। किसान धड़ल्ले से अंग्रेजी खाद यूज कर रहे हैं, क्योंकि अभी तक महकमे ने इस पर रोक या सप्लाई कम नहीं की है। दूसरी ओर कृषि विभाग का इतना दावा है कि अंग्रेजी खाद की मांग घटी है। तर्क है इसकी मांग एक लाख बीस हजार टन से घटकर एक लाख तेरह हजार टन रह गई है। लेकिन किसानों का कहना है कि यह कमी खेती छोड़ने का असर है। इसे शून्य खेती से जोड़ना जल्बाजी होगी। बहरहाल सरकारी विभाग यह कहकर भी पल्ला झाड़ रहे हैं कि अगर किसान नेचुरल खाद की मांग करेंगे, तो उन्हें मुहैया करवाई जाएगी। यही नहीं, कृषि विभाग का दावा है कि एक साल में 3000 किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाकर रासायनिक खाद से मुंह फेरा है। विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार 2017 – 2018 में जहां  प्रदेश में रासायनिक खाद की मांग 120053 लाख टन थी, वहीं इस साल यह घटकर 113563 लाख टन हुई है। कृषि विभाग के निदेशक देशराज का कहना है कि  भले ही विदेशी खाद की मांग अभी ज्यादा कम नहीं हुई है, लेकिन आने वाले सालों में इस प्रतिशतता में और भी ज्यादा गिरावट दर्ज की जा सकती है। प्रदेश के डिपुओं में विदेशी खाद की सप्लाई ज्यादा मिलने पर पूछे गए सवाल में निदेशक ने कहा कि अभी डिपूओं में विदेशी खाद को बैन नहीं किया गया है।

– प्रतिमा चौहान, रूचिका चंदेल

प्योर हनी से शुद्ध कमाई

हिमाचल में शहद हमेशा कमाई का बेहतर जरिया रहा है। अब प्रदेश सरकार सहयोग कर रही है,तो कई युवा बी कीपिंग को व्यवसाय के तौर पर अपना रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं कांगड़ा जिला के इच्छी गांव निवासी विशाल लिहाण।  साल पहले हिमालयन हनी नाम से शुरू किए स्टार्ट अप को खूब कामयाबी मिली है। इससे वह सालाना अच्छी कमाई कर रहे हैं। विशाल ने अब सुपर हनी नाम से नया प्रोडक्ट मार्केट में उतारा है। सबसे प्योर माने जाने वाले सुपर हनी को मार्के ट में अच्छा रिस्पांस मिला है। सुपर हनी डबल बाक्स में से सिर्फ ऊपर वाले डिब्बे से निकाला जाता है। दोनों डिब्बों के बीच एक जाली होती है, जिससे रानी मक्खी ऊपर वाले हिस्से में नहीं आ पाती। ऐसे में फायदा यह होता है कि अंडे निचले बक्से में रह जाते हैं और ऊपरी हिस्से में प्योर शहद रहता है। अमूमन जब भी शहद निकाला जाता है, तो इस तरह की तकनीक न होने से कई बार शहद के साथ भ्रूण भी मशीन में पिस जाता है। ऐसे में अब सुपर हनी आकर्षण का केंद्र बन गया है। विशाल ने बताया कि उनके पास सुपर हनी के करीब 100 बाक्स हैं। उनका प्रोडक्ट हिमाचल सरकार से अप्रूवड है। वह नमस्ते धर्मशाला से भी जुड़े हैं। उनके पास दानेदार शहद  यानी क्रिस्टियल हनी के अलावा खैर, सफेदा और मिक्स जैसे शहद के सारे ब्रांड मौजूद हैं।

कांटैक्ट 8894980060 और 9418097036

टिप्स : डबल बाक्स से शहद प्योर रहता है। सभी बी कीपर्ज यह तकनीक अपनाएं।

किसान बागबानों के सवाल

* इस मौसम में कौन से फूल लगाएं?

* हिमाचल में चंदन के पौधे कहां  मिलते हैं?

सर, एंटी हेलगन में आपकी मदद चाहिए

बागबानों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार प्रदेश मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा की अगुवाई में प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिला। बागबानों के इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा ने कहा कि बागबानों ने जिला शिमला के मड़ावग, बाघी, कलबोग व महासू क्षेत्रों में स्वयं अपनी धनराशि खर्च कर एंटी हेल गने स्थापित की है, जिन एंटी हेल गनों के रखरखाव तथा इन्हें चलाने के लिए तकनीकी स्टाफ  के संदर्भ में प्रदेश सरकार द्वारा उचित सहायता करने की मांग शनिवार को प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी से की है। बरागटा ने कहा कि इन मांगों के संदर्भ में वो ’बागबानी मंत्री महेंद्र ठाकुर जी से चर्चा कर इन मांगों को पूरा करने का निवेदन कर चुके है तथा बागबानी मंत्री ने  सभी मांगों को पूरा करने की दिशा में उचित समय पर सकारात्मक विचार करने का भरोसा जताया है। गौर रहे कि भले ही एंटी हेलगन बागबानों की उम्मीद पर उतना खरा नहीं उतर पाई है,लेकिन बागबानों के पास एक ऑप्शन तो है ही। बहरहाल मुख्यमंत्री ने कहा है कि  सभी मांगों को पूरा करने के लिए सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा।

गंगथ के दंगल का जान लें

श्री बाबा क्यालू महादंगल प्रदेश का सबसे बड़ा श्री बाबा क्यालू महादंगल गगंथ की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार 3-4-5-6 जून को महादंगल होगा जिसमें पहले दिन यानी  3 जून को सिर्फ हिमाचली पहलवान अपना जौहार दिखाएंगे इसमें वही पहलवान भाग ले सकेंगे जिनका आधार कार्ड हिमाचल का होगा। इस गंगथ कुमार को मोटरसाइकिल से नवाजा जाएगा। कुल मिलाकर श्री बाबा क्यालू महादंगल में तीन कारे, ग्यारह मोटरसाइकिल, 151 पीतल की बल्टोईया (चरोटियां) सात सौ, पीतल की गागरें 800 पीतल की बाल्टियां, साईकिल, सीईडी इसके अलावा लाखों रूपए के इनाम देश भर के पहलवान श्री बाबा क्याल के आशीर्वाद सहित ले कर जाएंगे।

—जगदेव डढवाल, गंगथ

चंदन के बूटे चाहिए, तो आएं देहरा

प्रदेशभर में चंदन के पौधे लगाने के लिए वन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयास यदि सफल होते हैं, तो इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने में बड़ा बदलाव हो सकता है। विभाग की माने तो यह प्रदेशभर के लिए गेम चेंजर साबित होने वाला है। इस संबंध में जिला वन अधिकारी आरके डोगरा ने बताया कि जिला कांगड़ा में भड़ोली गांव में चंदन के पौधों पर कार्य चल रहा है जबकि देहरा में इंडियन फूड साइंस इंस्टीच्यूट बंगलुरू से उच्च गुणवत्ता के करीब 25000 चंदन के पौधे लगवाए गए हैं। विभाग का यह प्रयास पूरी तरह सफल रहा है। डोगरा ने बताया कि प्रदेश भर में जहां पर भी खैर का पौधा उग सकता है वहां पर चंदन का पौधा भी सफल हो सकता है। उन्होंने बताया कि 15 वर्ष में चंदन का पेड़ पूरी तरह तैयार हो जाता है और एक पेड़ की कीमत करीब डेढ़ लाख रुपए तक होती है। उन्होंने बताया कि सौंदर्य प्रसाधनों के लिए चंदन की भारी मांग रहती है इसके अलावा कई अन्य उत्पादों में भी बड़े पैमाने पर चंदन का प्रयोग होता है। प्रदेश में यदि यह प्रयास सफल होता है तो यहां के लोगों को इसका काफी लाभ होगा। उन्होंने बताया कि आने वाली बरसात के दिनों में देहरा में स्थित विभाग की नर्सरी में इच्छुक लोग चंदन के पौधे खरीद सकते हैं। इस बारे 01970-233156 पर संपर्क किया जा सकता है।

– एन भारती,नादौन

मदन सिंह (फोन नं. 98164-03645)

माटी के लाल

वाह किसान! बरठीं में महक बिखेर रहा अमरीकी केसर

ग्राम पंचायत छत के निवासी मदन सिंह ने अपने खेतों में अमरीकन किस्म के केसर के करीब 100 पौधे तैयार कर दिए हैं। केसर के पौधों से फूल निकलना भी शुरू हो गए हैं। जानकारी के अनुसार बरठीं के साथ में लगती ग्राम पंचायत छत के निवासी किसान मदन सिंह ने कुछ  महीने पहले अमरीकन किस्म के केसर के करीब सौ पौधे अपनी घर के साथ में लगते खेत में लगाए थे। उन केसर के पौंधों ने फूल देना शुरू कर दिया है। मदन सिंह ने केसर के बीज अपने दोस्त से लिए थे तथा सैंपल के तौर पर करीब एक सौ बीज अपने घर के साथ के खेत में उगा दिए थे। अब उन केसर के पौधों ने फूल देना शुरू कर दिया है। मदन के अनुसार अगर उनके इन केसर के पौधों से प्राप्त केसर गुणवत्ता पूर्ण निकलता है तो वे आने वाले समय में उन्हीं एक सौ केसर के पौधों से अपना व्यापार शुरू करेंगे। उनके द्वारा उगाए केसर के पौधों से केसर के फूल उग आए हैं। आने वाले समय में बिलासपुर में केसर के जरिए बेरोजगार युवा अपने घरद्वार पर स्वरोजगार कर सकते हैं।

टिप्स : मैं आज के युवाओं को यही संदेश देना चाहूंगा कि काम कोई भी हो जब हम शुरू करते हैं तो थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन आगे चलकर यही परेशानी हमारी खुशी बन जाती है। बस अपनी हिम्मत को बरकरार रखने की जरूरत है।

-चमन खजूरिया, बरठीं

 सभी को  किसान से  दिक्कत है…

सोशल मीडिया

आज देश में 1 लीटर पानी को बोतल 20 रुपए में मिल रही है। किसी को दिक्कत नहीं है ?

50 ग्राम आलू से बना चिप्स 20 रुपए में किसी को दिक्कत नहीं

डाक्टर शक्ल देखने के 500 ले लेते हैं यानी एंट्रीफीस किसी को दिक्कत नहीं?

स्कूलों में फीस मनमानी लेते हैं, किसी को कोई दिक्कत नहीं है?

लेकिन किसान का गेहूं 3000 रुपए क्विंटल , दूध 60 लीटर बिकने की  बात चलती है तो बयान आता है जनता खाएगी क्या?

 कांगड़ा के इंदौरा में प्लम बर्बाद

कांगड़ा जिला के इंदौरा में प्लम की फसल को तूफान ने तहस नहस कर डाला है। हाल ही में आए तूफान ने पेड़ों से प्लम की आधी फसल गिरा दी है। बार्डर पर बसे इलाकों मे तुफान ने बागबानों की आशाओं पर पानी फेर कर रख दिया है। गौर रहे कि मंड क्षेत्र के गाँव ठाकुरद्वारा में लीची, आम के साथ साथ प्लम खूब होता है। बागबानों को इस बार चौखी कमाई की आस थी,लेकिन तूफान ने क्षेत्र के पलम में बगीचों को बर्बाद करके रख दिया है । ऐसे में बागबानों के चेहरे अब लटक गए हैं। बागबानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि शीघ्र उन्हें नुकसान का मुआवजा प्रदान  किया जाए।

– टीम,इंदौरा,ठाकुरद्वारा

इस बार 1840 रुपए ‌‌ क्विंटल बिकेगी गेहूं

105  रुपए बढ़े दाम

एफसीआई इस बार किसानों से 1840 रुपए क्विंटल के हिसाब से गेहूं खरीदेगा। पिछले साल के मुकाबले गेहूं के दाम इस दफा 105 रुपए बढ़ा दिए गए हैं।  सिरमौर जिला के किसान बहुल इलाके पांवटा में एफसीआई ने बाकायदा अपना गेंहू खरीद केंद्र भी शुरू कर दिया है। जानकारी मिली है कि शुरू के दो दिनों में एफसीआई के पास अढ़ाई सौ क्विंटल से अधिक गेंहू पंहुच चुकी है। गोर हो कि पांवटा साहिब दून गेहूं की पैदावार के लिए पूरे प्रदेश में अव्वल रहता है। खास बात यह कि किसानों को पेमेंट ऑनलाइन की जा रही है। जानकारी के मुताबिक अभी केंद्र मे एक झरना लगाया गया है जिससे साफ कर गेंहू ली जा रही है। आने वाले दिनों में अधिक गेंहू आने पर झरनों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।  गत वर्ष यहां पर एफआईआर के पास किसानों ने अपना करीब 8100 क्विंटल गेहूं बेचा था। इस बार भी पांवटा साहिब मे गेंहू की पैदावार अच्छी हुई है जिससे संभावना जताई जा रही है कि इस बार भी एफसीआई के पास बड़ी मात्रा में गेहूं पहुंचेगी। शॉट- पांवटा साहिब अनाज मंडी में गेहूं खरीद करती एफसीआई।

बाईट- राज कृष्ण नेगी, गुण निरीक्षक एफसीआई।

— दिनेश पुंडीर, पांवटा साहिब

आप सवाल करो, मिलेगा हर जवाब

आप हमें व्हाट्सऐप पर खेती-बागबानी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी भेज सकते हैं। किसान-बागबानों के अलावा अगर आप पावर टिल्लर-वीडर विक्रेता हैं या फिर बीज विक्रेता हैं,तो हमसे किसी भी तरह की समस्या शेयर कर सकते हैं।  आपके पास नर्सरी या बागीचा है,तो उससे जुड़ी हर सफलता या समस्या हमसे साझा करें। यही नहीं, कृषि विभाग और सरकार से किसी प्रश्ना का जवाब नहीं मिल रहा तो हमें नीचे दिए नंबरों पर मैसेज और फोन करके बताएं। आपकी हर बात को सरकार और लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इससे सरकार को आपकी सफलताओं और समस्याओं को जानने का मौका मिलेगा।

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