देश में बढ़ती उपभोक्ता चिंताएं

By: Apr 8th, 2019 12:08 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

 

चूंकि आने वाली दुनिया उपभोक्ताओं के डाटा पर आधारित होगी, अतः उपभोक्ताओं के उपयुक्त संरक्षण तथा मोबाइल डाटा उपभोग मामले में सबसे पहले भारत को डाटा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। जिस देश के पास जितना ज्यादा डाटा संरक्षण होगा, वह देश आर्थिक रूप से उतना मजबूत होगा। आर्थिक संदर्भ में डाटा एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कोई नियम-कानून नहीं है…

हाल ही में प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध कंसल्टेंसी फर्म बीसीजी की रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि भारत का उपभोक्ता बाजार दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2008 में भारत का जो उपभोक्ता बाजार महज 31 लाख करोड़ रुपए था, वह 2018 में 110 लाख करोड़ का हो गया। अब भारत का उपभोक्ता बाजार 2028 तक तीन गुना बढ़कर 335 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का उपभोक्ता बाजार वर्ष 2008 से हर साल करीब 13 फीसदी बढ़ रहा है। उपभोक्ता बाजार की यह वृद्धि देश में बढ़ती आबादी, तेज शहरीकरण और मध्यम वर्ग के तेजी से बढ़ने की वजह से हो रही है। उपभोक्ता बाजार में प्रोडक्ट के साथ-साथ सर्विसेज की डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है। कपड़े, फुटवेयर, हेल्थकेयर सबसे तेजी से बढ़ने वाले सेगमेंट के रूप में उभरे हैं। यकीनन छलांगें लगाकर आगे बढ़ रहे भारत के विशालकाय उपभोक्ता बाजार की आंखों में उपभोग और खुशहाली के जो सपने हैं, उनको पूरा करने के लिए देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपनी नई रणनीतियां बना रही हैं।

निश्चित रूप से उपभोक्ता बाजार की अपनी जोरदार शक्ति के कारण दुनिया की नजरों में कल तक बहुत पीछे रहने वाला भारत आज दुनिया की आंखों का तारा बन गया है। जहां अपनी उपभोक्ता शक्ति के कारण भारत आर्थिक महाशक्ति बनाने का सपना लेकर आगे बढ़ रहा है, वहीं वह अपनी खरीदारी क्षमता के कारण पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित भी कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों और वैश्विक संगठनों में भारत की चमकीली अहमियत दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से देश की बढ़ती जनसंख्या का उपभोक्ता बाजार के तेजी से बढ़ने से सीधा संबंध है। इस समय भारत की जनसंख्या दुनिया में सबसे अधिक तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में भारत की आबादी 134 करोड़ और चीन की आबादी 141 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक जनसंख्या पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2024 में भारत की जनसंख्या चीन से अधिक हो जाएगी। छलांगें लगाकर बढ़ती हुई भारतीय जनसंख्या अब 2024 में ही दुनिया की सर्वाधिक जनसंख्या हो जाएगी। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों की जनसंख्या से संबंधित रिपोर्टों के अनुसार पूरी दुनिया की आबादी, जो अभी 770 करोड़ है, वर्ष 2050 तक बढ़कर 980 करोड़ हो जाएगी। भारत की ऐसी सबसे बड़ी जनसंख्या सबसे बड़े वैश्विक उपभोक्ता बाजार का आधार भी होगी। निश्चित रूप से देश में जैसे-जैसे औद्योगीकरण, कारोबारी विकास तथा शहरीकरण बढ़ रहा है, वैसे-वैसे देश का उपभोक्ता बाजार तेजी से बढ़ रहा है। जहां एक ओर गांवों से रोजगार की चाह में लोगों का प्रवाह तेजी से शहरों की ओर बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत सुविधाओं के कारण लोग शहरों में ही रहना पसंद करते हैं। प्रतिभाएं शहरों में इसलिए रहना चाहती हैं, क्योंकि शहरों में विश्वस्तरीय रोजगार अवसर सृजित हो रहे हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्लेसमेंट सेंटर बनता जा रहा है। स्थिति यह है कि भारत के शहरों की ओर से विकसित देशों के लिए आउटसोर्सिंग का प्रवाह तेज होता जा रहा है। भारत में अंग्रेजी बोलने वाले पेशेवर सरलता से मिल जाते हैं और भारत के शहरों में व्यावसायिक कार्यस्थल पश्चिमी देशों के मुकाबले काफी कम दरों पर उपलब्ध हैं। इसमें कोई दोमत नहीं है कि भारत में उपभोक्ता बाजार के छलांगें लगाकर बढ़ने में मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है। शहरों में रहने वाले मध्यम वर्ग के लोग अपने उद्यम-कारोबार, अपनी सेवाओं तथा अपनी पेशेवर योग्यताओं से न केवल अपनी कमाई बढ़ा रहे हैं, वरन अपनी क्रय शक्ति से उपभोक्ता बाजार को भी चमकीला बना रहे  हैं। हाल ही में ख्याति प्राप्त ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म पीडब्ल्यूसी ने कहा है कि इस वर्ष 2019 में भारत फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए क्रय शक्ति के आधार पर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। निस्संदेह देश के उपभोक्ता बाजार को गति देने में इंटरनेट का अहम योगदान है। देश के 62 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट उपभोक्ता हैं। दुनियाभर में डाटा आधारित व्यवस्थाओं में बढ़ोतरी की तुलना में भारत में डाटा उपभोग में वृद्धि सबसे अधिक हो रही है। भारत में डाटा और वायस कॉल की लागत विश्व में सबसे कम है। देश के 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग स्मार्ट फोन चला रहे हैं। ऑनलाइन माध्यमों से लेन-देन आसान हुआ है।

मोबाइल से व्यवसायों का संचालन हो रहा है। ऐसे में जब देश का उपभोक्ता बाजार छलांगें लगाकर बढ़ रहा है, तब उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की ठगी से बचाने और उनके हितों के संरक्षण की चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। जो उपभोक्ता आज बाजार की आत्मा कहा जाता है, वह कई बार बाजार में मिलावट, बिना मानक की वस्तुओं की बिक्री, अधिक दाम, कम नापतोल जैसे शोषण से पीडि़त होते हुए दिखाई दे रहा है। उपभोक्ता संरक्षण के वर्तमान कानून पर्याप्त दिखाई नहीं दे रहे हैं। उत्पादों की गुणवत्ता संबंधी शिकायतों के संतोषजनक समाधान के लिए नए नियामक भी सुनिश्चित किए जाने जरूरी हैं। नई वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के तहत भविष्य में डाटा की वही अहमियत होगी, जो आज तेल की है। चूंकि आने वाली दुनिया उपभोक्ताओं के डाटा पर आधारित होगी, अतः उपभोक्ताओं के उपयुक्त संरक्षण तथा मोबाइल डाटा उपभोग मामले में सबसे पहले भारत को डाटा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा। जिस देश के पास जितना ज्यादा डाटा संरक्षण होगा, वह देश आर्थिक रूप से उतना मजबूत होगा। चूंकि  आर्थिक संदर्भ में डाटा एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कोई नियम-कानून नहीं है।

अतएव इससे संबंधित उपयुक्त नियम-कानून जरूरी हैं। यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि डाटा पर देश का ही नियंत्रण हो और खास डाटा को भारत में ही रखा जाए। डाटा के देश में ही भंडारण की आवश्यकता इसलिए है, ताकि उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी का संरक्षण हो सके और अपनी व्यक्तिगत जानकारी पर उपभोक्ताओं का ही नियंत्रण रहे। ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा और उसके व्यावसायिक इस्तेमाल को लेकर तमाम पाबंदी लगाई जानी जरूरी है। निश्चित रूप से छलांगें लगाकर बढ़ते हुए उपभोक्ता बाजार से जहां भारतीय उपभोक्ताओं की संतुष्टि बढ़ेगी, कम कीमत पर वस्तुएं उपलब्ध होंगी, वहीं देश की विकास दर बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था चमकीली बनेगी।


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