दो गुटों के विवाद से हूम उत्सव में सन्नाटा

By: Apr 14th, 2019 12:02 am

बला मंदिर से गायब हुई रौनक, अब प्रशासन की कार्रवाई पर नजरें

 बंजार —बला मंदिर में शनिवार को दिन भर सन्नाटा छाया रहा और लोगों की नजरें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी रही। बलागाढ़ पंचायत के बला गांव में हूम उत्सव धूमधाम से पारंपरिक तरीके से मनाया जा रहा है, जिसमें स्थानीय हारियाणु लकड़ी की मशालें लेकर लांहुड गांव से बला मंदिर में पहुंचते हैं और एक देवता के नाम पर करीब 30-40 फुट बड़ी मशाल जलाई जाती है और मंदिर परिसर में तीन जगह इन मशालों को जलाया जाता है। इसके बाद देवी-देवताओं का गुर (चेला) देवता के रूप में करीब 16 किलोमीटर का सफर रात को ही करता है और खाड़ागाढ़ पंचायत के सजबाड़ गांव पहुंचता है तथा सुबह वापस बला पहुंचता है व बाकी लोग पूरी रात भर जागरण करते हैं। सुबह गूर के वापस बला पहुंचने पर पारंपरिक तरीके से देव रस्मों को निभाया जाता है, जिसमें देवी-देवता के गूर लोगों को सरसों के दानों से आशीर्वाद देते हैं। इस वर्ष परिस्थिति कुछ अलग सी बन रही है। इस वर्ष नववर्ष पर बला में देवी त्रिपुरा बाला सुंदरी व मार्कंडेय ऋषि के दो-दो देवरथ बने हैं, जिसमें देवी-देवता दो रथ बला में व दो रथ लाहुंड में हैं, जबकि मंदिर सभी हारियाणुओं का है। बला व लाहुंड में हारियाणुओं के दो गुट बने हुए हैं, जिससे इस हूम उत्सव में मंदिर में दो की जगह चार रथ के आने से विवाद की स्थिति पैदा होने की संभावना को लेकर प्रशासन ने यहां विवाद पैदा होने की आशंका को लेकर दोनों गुटों के  देवताओं पर धारा 144 लगाई हुई है। वहीं हिदायत दी है कि बला के देवरथ लाहुंड नहीं जा पाएंगे और लाहुंड के देवरथ बला नहीं आ सकेंगे, जबकि देव परंपरा को निभाते समय हारियाणुओं, कारकूनों, बजतंरियों व आम जनता के मंदिर परिसर में देवरस्मों के निर्वाहन के लिए प्रवेश पर कोई पाबंदी नहीं रहेगी।  ऐसी स्थिति यहां 17 फरवरी को भी बनी थी, जब बला में देवी और देवते का अवतार समारोह मनाया जाता था। वहीं प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए एक बटालियन लाहुंड व बला में दोनों जगह तैनात कर दी है।


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