नहीं मिल रहा फ्लैट का किराया
चंडीगढ़ – चंडीगढ़ आवास बोर्ड ने शहर में पुर्नवास योजना के तहत हजारों फ्लैट तो बना दिए, पर उनकी लाइसेंस फीस नियमित रूप से लेने के लिए कडे़ नियम नहीं बना पाया। इसके कारण अब उसे शहर की अनेक पुर्नवास कालोनियों के आलाटियों से 23,37,76,725 रुपए वसूल करने हैं। आश्चर्य की बात है कि बोर्ड पर नए बने फ्लैट अलाट करने का दबाव है, पर इस राशि की भरपाई कैसे हो, इसकी कोई ठोस योजना नहीं है। उल्लेखनाय है कि बोर्ड ने इन फ्लैटों को बॉयोमीट्रिक सर्वे के बाद अलाट किया था, पर लाइसेंस फीस बॉयोमीट्रिक सर्वे में जो पहचान थी, उसके आधार पर नहीं ली। बोर्ड अपने कर्मचारियों को हर माह विभिन्न कालोनियों में लाइसेंस फीस लेने के लिए भेजता है अर्थात् बोर्ड के पास हर माह यह रिपोर्ट गत एक दशक से आ रही है कि किन घरों से लाइसेंस फीस नहीं मिल रही है। बोर्ड ने कोई कारवाई करने की बजाय चुप्पी साध ली। बोर्ड के एक अधिकारी का कहना था कि जब इन फ्लैटों को अलाट करने के नियम बनाए थे, तो उनमें यह शामिल नहीं किया गया कि जो एक माह किश्त जमा नहीं कराता, उससे अगले माह ब्याज सहित किश्तें वसूली जाएगी। बोर्ड के निदेशक मंडल के एक सदस्य का कहना था कि राजनीतिक दबाव के चलते बोर्ड ऐसे लोगों के विरुद्ध कारवाई नहीं कर पाता। बताया जाता है कि बोर्ड ने यह मकान वर्ष 2006 के बॉयोमीट्रिक के सर्वे के आधार पर किराए पर दिए थे व उसके बाद बॉयोमीट्रिक के आधार पर किराया वसूलने की शर्त नहीं रखी। सूत्रों के अनुसार बोर्ड ने एक बार बॉयोमीट्रिक आधार पर इन फ्लैटों का सर्वे कराने की योजना बनाई थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन फ्लैटों में वास्तविक अलाटी रह रहे हैं या फिर उन्होंने इसे किराए पर दे रखा है या बेच दिया है। वहीं बोर्ड के संबंधित अधिकारी का कहना था कि वह इस संबंध में विस्तृत योजना बना का निदेशक मंडल की बैठक में चर्चा के लिए रखेंगे, ताकि इस राशि की शीघ्र ही भरपाई हो सके।
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