पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है कांगड़ा
कांगड़ा घाटी हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है। इसकी शांखलाएं पश्चिम से पूर्व की ओर लगातार उठाव लिए हुए हैं जो शाहपुर से बैजनाथ और पालमपुर की ओर विकसित हैं। आगंतुकों ने अपने यात्रा वृत्तांतों में कांगड़ा घाटी की सुंदरता तथा यहां की संस्कृति का विस्तृत वर्णन किया हुआ है…
गतांक से आगे …
कांगड़ा
कांगड़ा घाटी में सुनहरी सफेद चादर ओढ़े धौलाधार पर्वत श्रृंखला और दक्षिण में शिवालिक की पहाडि़यां है। यह हिमालय की दर्शनीय घाटियों में से एक हैं। कांगड़ा घाटी हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही है। इसकी शृंखलाएं पश्चिम से पूर्व की ओर लगातार उठाव लिए हुए हैं जो शाहपुर से बैजनाथ और पालमपुर की ओर विकसित हैं। आगंतुकों ने अपने यात्रा वृतांतों में कांगड़ा घाटी की सुंदरता तथा यहां की संस्कृति का विस्तृत वर्णन किया हुआ है, कांगड़ा घाटी का इतिहास, भारत के इतिहास में विशेष स्थान रखता है। यहां की चित्रकला तो विश्व प्रसिद्ध है। यहां के प्राचीन मंदिर, पुराना किला और साथ लगती घाटियां पर्यटकों का मन मोह लेती हैं बैजनाथ, पालमपुर, कांगड़ा, धर्मषाला और नूरपुर इस घाटी के प्रसिद्ध शहर हैं। सोभा सिंह कलाकेंद्र (अंद्रेटा) शिव मंदिर बैजनाथ, निर्वासित तिब्बती सरकार का मुख्यालय मैग्लोड़गज, चांमुडा मंदिर, बृजेश्वरी मंदिर कांगड़ा , तपोवन संदीपनी हिमालय पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षझा के केंद्र हैं।
सांगला या बासपा घाटी
सांगला या बासपा घाटी प्रदेश की अति सुदंर और मनोरम घाटियों की श्रृंखला है, जो किन्नौर जिले में स्थित है। यह घाटी बसपा नदी के उद्गम स्थल से शुरू होती है और 95 किलोमीटर बाद सतुलज नदी में बासपा नदी के मिलने के साथ ही खत्म हो जाती है अनेक पानी के चश्में, नाले, खड़डे आदि बसपा के सतलुज में मिलने से पूर्व बासपा में मिलते हैं जो इसके पानी की मात्रा को बढ़ाते हैं। सारे क्षेत्र में पानी की कमी की बासपा नदी पूरा करती है। इस घाटी में ऊंचाई पर स्थित गांव बहुत ठंडे हैं और किसानों को साल में एक ही पुसल प्राप्त होती है। ‘कामरू और सांगला’ गांव जो बासपा नदी के दाई तरफ बसे हैं अधिक जनसंख्या के घनत्व वाले क्षेत्र हैं। इस घाटी में वन भी काफी मात्रा में हैं। यहां बर्फ से ढकी चोटियां दर्शनीय हैं। इस घाटी का सबसे ऊंचाई पर स्थित गांव चिटकुल है। सुपसिद्ध चुग शाको दर्रा इस घाटी में स्थित है। इस घाटी पर मानसून वर्षा का भी व्यापक प्रभाव रहता है, जिसके परिणामस्वरूप कृषि, बागबानी तथा अन्य उपजाऊ फसलों के लिए यह घाटी अति उपयोगी है
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