बसपा-नेशनल कान्फ्रेंस ने 2014 में नहीं खोला था खाता

By: Apr 23rd, 2019 12:04 am

सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में सभी की निगाहें विशेष रूप से उन दलों पर हैं, जो 2014 में अपना खाता भी नहीं खोल सके थे, लेकिन इस बार चुनाव में इनके महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। इनमें सबसे प्रभावशाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती हैं, जिन्होंने वर्ष 2014 में 503 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन 16वीं लोकसभा में अपना कोई भी सदस्य लोकसभा नहीं भेज सकीं। बसपा को पिछले लोकसभा चुनाव में 4.19 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि  447 निर्वाचन क्षेत्रों में मायावती के पुरुष और महिला उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी। वहीं वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा को  प्रतिशत 6.17 वोट मिले थे और पार्टी ने 500 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से 21 सीटों पर विजय हासिल की थी। असल में वर्ष 2009 में किसी भी राष्ट्रीय दल का आंकड़ा शून्य नहीं रहा था।

जम्मू-कश्मीर में राज्य स्तरीय पार्टी नेशनल कान्फ्रेंस ने वर्ष 2014 में तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और अपने प्रतिद्वंदी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से हार गई थी। नेशनल कान्फ्रेंस के हिस्से में 11.22 प्रतिशत और पीडीपी को 20.72 प्रतिशत वोट मिले थे। नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला अपने तीन दशकों के राजनीतिक जीवन में कभी भी चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन श्रीनगर लोकसभा सीट से वह अपने प्रतिद्वंदी पीडीपी के तारिक हमीद कर्रा से चुनाव हार गए। कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद भी ऊधमपुर संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जितेंद्र सिंह से चुनाव हार गए थे। श्री सिंह ने श्री आजाद को 60976 मतों से हराया था। श्री सिंह जो अब केंद्रीय मंत्री हैं। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अजीत सिंह वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में अपना खाता नहीं खोल पाए थे और इस वर्ष बसपा और रालोद दोनों समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतर रही हैं और क्षेत्र में यह गठबंधन परिणामों में उलट पलट कर सकती है। वर्ष 2014 में भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। वर्ष 2014 में तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक ने 39 सीटों में से 37 सीटों पर जोरदार जीत हासिल की थी, लेकिन 2014 में खाता खोलने में नाकाम रहे राज्य स्तरीय दलों में असम में अगप, पश्चिम बंगाल में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और झारखंड में अजसू शामिल हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने 42 में से 34 सीटें जीतीं, लेकिन मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में उसने ‘राज्य स्तरीय पार्टी’ के रूप में खाता भी नहीं खोला था।

इतिहास के झरोखे से

178 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त

अन्य प्रमुख राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस ने 2009 में 206 सीटें जीती थीं, जबकि 2014 में कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई थी। इसके अलावा 178 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी, जबकि दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 428 उम्मीदवारों में से 282 प्रत्याशियों ने रिकार्ड जीत हासिल की। भाजपा के 62 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी।


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