बैसाखी का त्योहार
सिख पंथ की स्थापना बैशाख माह का अपना एक महत्त्व है, इसका एक गौरवपूर्ण इतिहास है। इतिहास की दृष्टि से 13 अप्रैल, 1699 में सिख पंथ की स्थापना हुई थी। सिखों के द्वितीय गुरु श्री अंगद देव जी का जन्म इसी माह में हुआ था। वहीं ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना, महाराजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का शुभारंभ, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक, नवरात्रों का आरंभ, सिंध प्रांत के समाज रक्षक वरुणावतार संत झूलेलाल का जन्म दिवस, महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना, धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक, महावीर जयंती आदि अनेक गौरवपूर्ण इतिहास वैशाख माह से जुड़ा है। देश के अनेक राज्यों में 13 एवं 14 अप्रैल का अपना एक अलग महत्त्व है। इस दिन से नववर्ष की शुरुआत होती है।
पंजाब की बैसाखी :
पंजाब में सैकड़ों वर्षों से हर वर्ष 13 अप्रैल को नए साल की शुरुआत होती है। खालसा संवत् बैसाखी से शुरू होता है और बैशाख माह पंजाब के कृषकों के लिए खुशहाली का प्रतीक है। बैसाखी पर ही किसान अपनी फसल की कटाई करता है तथा धार्मिक रूप से आसपास की पावन नदियों, तालाबों पर पवित्र स्नान कर पूजा-अर्चना करता है और नए वस्त्र धारण करता है। बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में अंग्रेज जनरल डायर द्वारा क्रूरतापूर्ण सैकड़ों लोगों को गोलियों का निशाना बनाकर मार दिया गया, तभी से उन अमर शहीदों को बैसाखी के दिन श्रद्धांजलि दी जाती है।
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