भू-स्खलन रोकने के लिए नया ‘जुगाड़’

By: Apr 6th, 2019 12:02 am

फोरलेन कंपनी-एनएचएआई की विशेष टीम ने किया सर्वे, नई तकनीक का इस्तेमाल करने की सिफारिश

 सोलन —कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पांच पर पहाड़ों से भू-स्खलन को रोकने के लिए जल्द ही नई तकनीक अपनाई जाएगी। इसके लिए फोरलेन निर्माण कर रही कंपनी व एनएचएआई की विशेष टीम ने सर्वे किया है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट आने पर पहाड़ों से भू-स्खलन रोकने के लिए कंपनी एक टीम गठित करेगी। इसके पश्चात इस टीम को प्रशिक्षित किया जाएगा। बताया जा रहा है कि यह तकनीक वहीं प्रयोग में लाई जाएगी, जहां पहाड़ दरकने का अधिक खतरा बना हुआ है। गौरतलब हो कि कालका-शिमला नेशनल हाई-वे पांच पर परवाणू से सोलन(चंबाघाट) तक फोरलेन का कार्य चला हुआ है। इस कारण लगातार भू-स्खलन का सिलसिला जारी है। हालांकि कंपनी द्वारा पहाड़ों पर भू-स्खलन को रोकने के लिए कई विदेशी तकनीकों का प्रयोग किया है, लेकिन ये सभी तकनीकें सफल नहीं हुई है। सबसे पहले पहाड़ों से भू-स्खलन होने से आरसीसी वाल से बने डंगे लगाए गए थे, लेकिन ये डंगे धंस गए। इससे कंपनी को पांच करोड़ रुपए की चपत लगी थी। इसके पश्चात पहाड़ों से भू-स्खलन न हो, इसके लिए पौधों के बीज डाले गए थे। इन बीजों की खासियत बताई थी कि इन बीजों से निकलने वाले पौधे की जडं़े इतनी मजबूत होती हैं कि वे मिट्टी को जल्द खिसकने नहीं देतीं, लेकिन यहां इसके विपरीत हुआ। फोरलेन निर्माण कर रही जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट कंपनी ने पहाड़ों में डाले बीस हजार बीज भू-स्खलन को नहीं रोक पाए। वहीं, इस दौरान कंपनी ने पहाड़ों पर सीमेंट स्प्रे तकनीक भी प्रयोग में लाई थी, पर इससे भी कंपनी को सफलता हासिल नहीं हुई। वहीं, नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा परवाणू से सोलन तक फोरलेन निर्माण के टेंडर राजस्थान की जीआर इन्फ्रास्टरक्चर प्रा. लिमिटेड कंपनी के नाम रहा था। इसकी कुल दूरी 39.139 किलोमीटर है और परवाणू से सोलन तक लगभग 7.48 करोड़ रुपए की राशि अवार्ड की गई थी। फोरलेन बनाने का कार्यकाल अढ़ाई वर्ष था। यह कार्यकाल पिछले वर्ष मार्च में पूरा हो चुका है। इसके बाद कंपनी द्वारा एक वर्ष की एक्सटेंशन ली थी, जोकि इस वर्ष मार्च में पूरी हो गई है। अब कंपनी द्वारा और समय मांगा जा रहा है।

यहां अधिक खतरा

पहाडि़यों से हुए भू-स्खलन से धर्मपुर में सीआरपीएफ  बेस कैंप, कुमारहट्टी में आर्मी र्क्वाटर, पट्टा मोड़ स्थित आर्मी स्टोर अभी भी खतरे की जद में हैं। चक्कीमोड़, तंबुमोड़, सनवारा के समीप लगातार इन पहाडि़यों से मलबा गिरने की आशंका बनी हुई है।

रिपोर्ट के बाद बजट की मांग करेगी कंपनी

फोरलेन निर्माण कर रही कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर राजीव पठानिया ने कहा कि एनएचएआई व कंपनी की एक विशेष टीम ने पहाड़ों का जायजा लिया है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट आ जाएगी। अभी जहां अधिक महत्त्वपूर्ण है, वहीं टीम द्वारा बताई जाने वाली तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इसके लिए एनएचएआई से बजट की मांग भी की जाएगी।


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