वोट से पहले सरकार को चोट

By: Apr 11th, 2019 12:07 am

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट फिर करेगा सुनवाई

देश की सर्वोच्च अदालत ने सौदे के लीक दस्तावेजों को माना वैध

नई दिल्ली – लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग से ठीक एक दिन पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को राफेल डील मामले में करारा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने सरकार की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए राफेल मामले में रिव्यू पिटिशन पर नए दस्तावेज के आधार पर सुनवाई का फैसला किया है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बैंच ने एक मत से दिए फैसले में कहा कि जो नए दस्तावेज डोमेन में आए हैं, उन आधारों पर मामले में रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई होगी। बैंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट अब रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए नई तारीख तय करेगा। राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि इससे संबंधित डिफेंस के जो दस्तावेज लीक हुए हैं, उस आधार पर रिव्यू पिटिशन की सुनवाई की जाएगी या नहीं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लीक दस्तावेजों के आधार पर रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई का विरोध किया था और कहा था कि ये दस्तावेज प्रिविलेज्ड (विशेषाधिकार वाला गोपनीय) दस्तावेज है और इस कारण रिव्यू पिटिशन खारिज किया जाना चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था कि आरटीआई ऐक्ट 2005 में आया है और यह एक क्रांतिकारी कदम था। ऐसे में हम पीछे नहीं जा सकते। सरकार ने कहा था कि जो दस्तावेज प्रशांत भूषण ने रिव्यू पिटिशन के साथ पेश किए हैं, वे प्रिविलेज्ड दस्तावेज हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े ये दस्तावेज गोपनीय हैं और आरटीआई के अपवाद में हैं। साथ ही एविडेंस ऐक्ट के तहत गोपनीय दस्तावेज हैं। इंडियन एविडेंस ऐक्ट के तहत गोपनीय दस्तावेज पेश नहीं किया जा सकता। जो दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो, दो देशों के संबंध पर असर डालता हो, उन्हें गोपनीय दस्तावेज माना गया है। अनुच्छेद-19 (2) के तहत अभिव्यक्ति के अधिकार पर वाजिब रोक की बात है। जहां देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला होगा, वह रोक के दायरे में आएगा। आरटीआई के तहत भी देश की संप्रभुता से जुड़े मामले को अपवाद माना गया है। सरकारी गोपनीयता कानून की धारा-3 और 5 में भी रोक है। इस दौरान याचिकाकर्ता वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि ये तमाम दस्तावेज पब्लिक डोमेन में है। जो दस्तावेज पहले से लोगों के सामने है, उस पर कोर्ट विचार न करे, यह बेकार की दलील है। एविडेंस ऐक्ट के तहत जो दस्तावेज पब्लिक डोमेन में लाने से रोका गया है, वे वैसे दस्तावेज हैं जो पहले से गोपनीय हैं और प्रकाशित नहीं हुए हैं, लेकिन इस मामले में डिफेंस के दस्तोवज पहले से लोगों के सामने हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक मामले में केस दर्ज नहीं किया। पहली बार 18 नवंबर को ये रिपोर्ट वेबसाइट पर छपी। सीएजी रिपोर्ट सरकार ने पेश की है। उसमें डिफेंस डील से संबंधित जानकारी है। भूषण की दलील थी कि सरकार ने खुद सीएजी रिपोर्ट को कोर्ट में पेश किया। ऐसे में उनकी ओर से पेश दस्तावेज को प्रिविलेज्ड दस्तावेज कैसे कह सकते हैं। उधर प्रेस काउंसिल कहता है कि मीडिया कर्मी सोर्स बताने के लिए बाध्य नहीं है। एसपी गुप्ता से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दे रखी है कि कोई दस्तावेज गोपनीय है या नहीं और देश की सुरक्षा से जुड़ा है, इस बात को पब्लिक इंट्रेस्ट में परखा जाएगा। इस मामले में दस्तावेज पहले से पब्लिक में है। सरकार खुद की अपने लोगों को इस तरह की जानकारी लीक करती रही है। रक्षा मंत्री की फाइल नोटिंग भी इसी तरह लीक की गई। 2जी मामले और कोल ब्लॉक मामले में भी दस्तावेज पब्लिक डोमेन में आए थे और सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि व्हिसल ब्लोअर का नाम बाहर लाने की जरूरत नहीं है। अगर दस्तावेज केस के लिए जरूरी है तो यह बात औचित्यहीन है कि उसे कहां से और कैसे लाया गया है। अगर दस्तावेज भ्रष्टाचार के केस के लिए औचित्यपूर्ण है तो इस बात का मतलब नहीं रह जाता कि यह कहां से लाया गया। सुप्रीम कोर्ट के दोबारा सुनवाई के फैसले के बाद विपक्षी पार्टियां भी केंद्र पर हमलावर हो गई हैं। कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में सच सामने आकर रहेगा वहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र सरकार को घेरा।

सुप्रीम कोर्ट ने भी माना, चौकीदार ने कराई चोरी

अमेठी – कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी संसदीय सीट अमेठी से नामांकन भरने के बाद राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि राफेल डील में भ्रष्टाचार हुआ है। उन्होंने पीएम मोदी को खुली बहस की चुनौती दी। राहुल ने कहा कि एक बार पीएम मोदी उनसे 15 मिनट बहस कर लेंगे तो देश से भी आंख नहीं मिला पाएंगे। राहुल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार ने ही चोरी करवाई है। राफेल में दो लोगों ने ही भ्रष्टाचार किया है, एक नरेंद्र मोदी और दूसरा अनिल अंबानी।

मोदी की टिप्पणी पर चुनाव आयोग ने मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली – चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी पर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र के चुनाव अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें उन्होंने (श्री मोदी) पहली बार मतदान करने वाले युवाओं से बालाकोट कार्रवाई के परिप्रेक्ष्य में वोट देने की अपील की थी। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक यह रिपोर्ट आयोग के उस सलाह के संदर्भ  में मांगी गई है, जिसमें कहा गया था कि  राजनीतिक दल और उसके उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान रक्षा बलों की गतिविधियों के उपयोग से परहेज करें। उन्होंने बताया कि आयोग ने यह रिपोर्ट शीघ्र ही प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए हैं।  श्री मोदी ने कहा था कि मैं पहली बार मतदान करने वालों कहना चाहता हूं कि वे पहला वोट पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों  के लिए समर्पित करें।

प्रधानमंत्री पर बनी फिल्म के साथ नमो टीवी पर भी रोक

नई दिल्ली – चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी फिल्म की स्क्रीनिंग और नमो टीवी पर चुनाव होने तक रोक लगा दी है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि फिल्म पर बैन का चुनाव आयोग का आदेश नमो टीवी पर भी लागू होता है, जिसे चुनाव के दौरान प्रसारित नहीं किया जा सकता है। अधिकारी ने आदेश के एक पैराग्राफ का जिक्र किया, जिसके मुताबिक किसी भी प्रकार की प्रमाणित सामग्री से संबंधित कोई भी पोस्टर या प्रचार सामग्री, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी उम्मीदवार की चुनावी संभावना को बढ़ाती है, वह आदर्श आचार संहिता के लागू रहने वाले क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रदर्शित नहीं की जाएगी। आयोग ने कहा कि ऐसी किसी भी सामग्री को नहीं दिखाया जा सकता, जो चुनाव में सभी दावेदारों को समान अवसर उपलब्ध कराने के सिद्धांत से मेल नहीं खाती हो। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी राजनीतिक इकाई या उससे जुड़े किसी भी व्यक्ति पर आधारित जीवनी या जीवनी के रूप में उसका कोई भी महिमामंडन, जो चुनाव के दौरान सभी दावेदारों को समान अवसर उपलब्ध कराने के सिद्धांत से मेल न खाता हो, वह आदर्श चुनाव आचार संहिता के लागू रहने के दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रदर्शित नहीं की जानी चाहिए।


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