साधना के लिए स्थान शुद्ध होना चाहिए

By: Apr 6th, 2019 12:05 am

साधना के लिए जिस स्थान का प्रयोग किया जाना हो, वह गंदा या अपवित्र नहीं बल्कि शुद्ध होना चाहिए। उस स्थान को पहले गोबर या पानी से तथा बाद में गुलाबजल छिड़क कर शुद्ध कर लेना चाहिए। फिर अगरबत्ती या धूप बत्ती जलानी चाहिए। ऐसा स्थान एकांत तथा शांत हो, कोई भय या खटका न हो। किसी जीव-जंतु, पशु-पक्षी तथा दुष्ट जन का भय नहीं होना चाहिए। यदि किसी प्रकार की बाहरी बाधा दिखाई दे तो स्थान बदल देना चाहिए। शरीर शुद्धि : इसके लिए शास्त्रों में पंचगव्य का विधान है। किंतु यदि पंचगव्य या गंगाजल न मिले तो किसी अन्य नदी का पवित्र जल या भगवान के चरणामृत का पान अथवा पांच बार गुरु मंत्र का जप करके अभिमंत्रित किया गया जल लेकर आचमन करना चाहिए…

-गतांक से आगे…

धैर्य ः साधक को अपने अंदर धैर्य (धीरज) का गुण पैदा करना चाहिए, जल्दबाजी या उतावलापन नहीं। शांति और संतोष से अधिक समय तक साधना करने में थकना या ऊबना नहीं चाहिए। सफलता या सिद्धि तत्काल नहीं प्राप्त होती, इसलिए साधक को निराश या हतोत्साहित न होकर धैर्य और विश्वास के साथ साधना में लगे रहना चाहिए। उसे इस बात पर विश्वास होना चाहिए कि गुरु या शास्त्र विहित मार्ग पर चलने से लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है। अतः साधक में धैर्य अवश्य होना चाहिए। शांत मन से विधिपूर्वक किए गए कार्य ही सिद्ध होते हैं।स्थान शुद्धि ः साधना के लिए जिस स्थान का प्रयोग किया जाना हो, वह गंदा या अपवित्र नहीं बल्कि शुद्ध होना चाहिए। उस स्थान को पहले गोबर या पानी से तथा बाद में गुलाबजल छिड़क कर शुद्ध कर लेना चाहिए। फिर अगरबत्ती या धूप बत्ती जलानी चाहिए। ऐसा स्थान एकांत तथा शांत हो, कोई भय या खटका न हो। किसी जीव-जंतु, पशु-पक्षी तथा दुष्ट जन का भय नहीं होना चाहिए। यदि किसी प्रकार की बाहरी बाधा दिखाई दे तो स्थान बदल देना चाहिए। शरीर शुद्धि ः इसके लिए शास्त्रों में पंचगव्य का विधान है। किंतु यदि पंचगव्य या गंगाजल न मिले तो किसी अन्य नदी का पवित्र जल या भगवान के चरणामृत का पान अथवा पांच बार गुरु मंत्र का जप करके अभिमंत्रित किया गया जल लेकर आचमन करना चाहिए। सर्वप्रथम नदी, कुएं, सरोवर या नल के पानी से, जो स्वच्छ पात्र में रखा गया हो, स्नान करना चाहिए। फिर शुद्ध जल, गंगाजल आदि द्वारा पांच बार आचमन करके साधना आरंभ करनी चाहिए। मन शुद्धि ः मन की शुद्धि में विचारों की शुद्धता मुख्य है। साधना काल में बुरे विचार मन में नहीं आने देना चाहिए। वैसे तो विचारों की शुद्धता का ध्यान चौबीसों घंटे रखना चाहिए, तभी साधना के समय उन्हें दूर करने में सफलता मिलेगी। 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App