सियासत में पिस गए मसाले

By: Apr 12th, 2019 12:15 am

हमीरपुर – सियासत और यहां के सियासतदानों की अक्कड़ और खुदगर्जी का खामियाजा वर्षों से प्रदेश की आवाम भुगत रही है। तेरे-मेरे की जिद्द में कई ऐसे बड़े प्रोजेक्ट सियासत के पालने में झूल रहे हैं, जिनसे सूबे का नक्शा ही बदल जाना था। एक ऐसा ही बड़ा प्रोजेक्ट था हिमाचल में स्पाइस पार्क का। यूं कहें, तो मसालों ने ही लोगों को मालामाल कर देना था। कढ़ी पत्ता, जिसके जंगल भरे पड़े हैं, उसी से करोड़ों की कमाई हो जानी थी। पार्क का वर्ष 2014 में लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लगने से ठीक पहले तत्कालीन केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने चंडीगढ़ से ऑनलाइन शिलान्यास किया था। यह पार्क हिंदोस्तान का सातवां और नॉर्थ इंडिया का पहला स्पाइस पार्क होना था। नादौन के बड़ा में 200 कनाल जमीन इस पार्क के लिए फाइनल की गई थी। ब्यास का किनारा था, तो जाहिर है पानी की कमी का कोई सवाल ही नहीं था, साथ ही जगह एनएच के बिल्कुल साथ थी। इसलिए ट्रांसपोटेशन की भी कोई दिक्कत नहीं होनी थी। केरल से स्पाइस के डायरेक्टर और कई अन्य बड़े अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर इस जगह को स्पाइस पार्क के लिए उपयुक्त बताया था। स्पाइस पार्क के शिलान्यास से कृषि प्रधान हिमाचल के हजारों किसानों को उम्मीद जगी थी कि अब उनके दिन बहुर जाएंगे, लेकिन 2014 में हुए लोकसभा चुनाव और उनके नतीजे मानों इस स्पाइस पार्क के लिए काली छाया ही बन गए। वक्त के साथ धीरे-धीरे नॉर्थ इंडिया का प्रस्तावित यह पहला स्पाइस पार्क गुमनामियों के अंधेरों में खोने लगा। हालांकि प्रदेश में उस वक्त कांग्रेस पार्टी की सरकार थी, लेकिन केंद्र में सत्ता की चाबी भारतीय जनता पार्टी के हाथ में आने से इस स्पाइस पार्क की राहें ही बंद हो गईं। आज लोकसभा चुनावों की इस बेला में लोगों को एक बार फिर से स्पाइस पार्क याद आने लगा है। मोदी सरकार इस स्पाइस पार्क की घोषणा को छलावा बताती रही, जबकि तत्कालीन प्रदेश की कांग्रेस सरकार के अनुसर इस प्रोजेक्ट में एनडीए सरकार अड़ंगा डालती रही।

पांच सौ लोगों को मिलना था रोजगार

स्पाइस पार्क से सीधे तौर पर यहां करीब 500 लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होने थे। खासकर किसान, जिन्हें उपरोक्त वस्तुएं पैदा करने के बाद मार्केट नहीं मिल पाती, उनके लिए तो मानों घर द्वार पर ही यह अवसर उपलब्ध हो जाना था, लेकिन  सियासत ने गोल्डन प्रोजेक्ट को गुमनामियों में धकेल दिया।

कहां गई पहली किस्त

कांग्रेस सरकार दावा करती रही कि स्पाइस पार्क निर्माण के लिए पहली किस्त के रूप में 20 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं, लेकिन पैसा कहां गया इसका जवाब किसी के पास नहीं। वास्तविकता की बात करें, तो इसके निर्माण पर एक नया पैसा तक खर्च नहीं हुआ है। बताते हैं कि स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा यहां स्पाइस पार्क का निर्माण किया जाना था। संबंधित विभाग ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर फाइल सरकार को भेजी थी।

पड़ोसी राज्यों से पहुंचनी थी कई चीजें, विदेश जाना था तैयार माल

स्पाइस पार्क के स्थापित होने से हिमाचल में मसाला उद्योग को पंख लग जाने थे। हिमाचल ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर इत्यादि राज्यों से लाल मिर्च, अदरक, लहसुन, धनिया, तेज पत्ता, हल्दी और मसालों में प्रयोग होने वाली ऐसी कई चीजें ट्रकों में भर-भरकर यहां पहुंचनी थीं, जिसके बाद यहां से बने मसाले हिंदोस्तान ही नहीं, बल्कि बाहरी देशों के लिए भी निर्यात किए जाने थे।


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