सियासी वनवास के बाद विरोधी गृह में ‘प्रवेश’

By: Apr 29th, 2019 12:02 am

इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान दलबल का चला नया ट्रेंड, पार्टी से हारे-नकारे नेता दूसरे दल को बना रहे अपना घर

शिमला —इस बार लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस और भाजपा नेता एक-दूसरे के गृह में प्रवेश कर रहे हैं। वर्तमान पार्टी में हारे या नकारे नेता एक-दूसरे के दल को अपना घर बसाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जब-जब भी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुए, इस बीच राजनीतिक लाभ नहीं ले पाने वाले नेताओं ने दल बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कभी तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री और छह बार विधायक रहे सिंघी राम भी अब भाजपा को अपना दूसरा घर बता रहे हैं। कभी भाजपा के खिलाफ जमकर मोर्चा खोलने वाले सिंघी राम अब अपने हाथ में कमल खिलाने जा रहे हैं। तत्कालीन वीरभद्र सिंह के समय वर्ष 2006 में पूर्व मंत्री सिंघी राम के खिलाफ एक मामला प्रकाश में आया और उसके बाद से लेकर अब तक कांग्रेस से बाहर थे। यही वजह थी कि रामपुर विधानसभा सीट से 2008 के चुनाव में पार्टी हाइकमान ने सिंघी राम का टिकट काटकर नंदलाल पर भरोसा जताया। उसके बाद से लेकर वह करीब 12 साल तक राजनीतिक वनवास में रहे। लाख कोशिश करने पर भी कांग्रेस में वापसी नहीं हुई, तो सिंघी राम ने 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा से हाथ मिला लिया। इस बार के लोकसभा चुनाव में दल बदलने की परंपरा ने हदें पार कर दी हैं। इस परंपरा को मंडी से पंडित सुखराम ने बदल दिया। पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा को भाजपा ने टिकट के लिए ठुकरा दिया, तो कांग्रेस में शामिल हुए और टिकट की जंग भी जीत गए। अब प्रदेश की सबसे हॉट सीट हमीरपुर की राजनीति में भी दल बदल की परंपरा शुरू हो गई। हालांकि सुरेश चंदेल बिना शर्त के ही कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन टिकट आबंटन के दौरान उन्होंने कांग्रेस हाइकमान पर टिकट के लिए दबाव भी बनाया था। हमीरपुर सीट पर जब तक भाजपा के अनुराग सिंह ठाकुर हैं, तब तक किसी अन्य नेता को टिकट मिलना संभव नहीं थाख् जिस कारण भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं तीन बार हमीरपुर सीट से सांसद रहे सुरेश चंदेल ने भविष्य की राजनीति को देखते हुए कांग्रेस से हाथ मिला लिया। इसी तरह से पूर्व मंत्री सिंघी राम ने भी 2022 को टारगेट बनाते हुए बीजेपी में शामिल हुए।

दल बदलते ही बदली नेताओं की किस्मत

प्रदेश की राजनीति में कई ऐसे नेताओं की किस्मत बदल गई है, जिन्होंने दल बदल दिए। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो हमीरपुर सीट से कांग्रेस ने नरेंद्र ठाकुर को मैदान में उतारा था और चुनाव हार गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद सुजानपुर सीट पर उपचुनाव हुए, तो नरेंद्र ठाकुर कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। यहां से टिकट भी मिला और उपचुनाव से ही उन्होंने अपना खाता खोल दिया था। वर्तमान में वह हमीरपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं। इसी तरह से पिछले कई वर्षों तक कांग्रेस के सिपाही बन चुके पूर्व मंत्री अनिल शर्मा ने 2017 के चुनाव में भाजपा टिकट से चुनाव जीते। वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक पवन काजल को कांग्रेस और बलवीर सिंह वर्मा को भाजपा में जीत मिली।


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