एचपीयू में शिक्षकों की बदलती भूमिका पर मंथन
शिमला—हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के यूजीसी मानव विकास संसाधन केंद्र द्वारा 133वें उन्मुखी कार्यक्रम का शुभारंभ सोमवार को किया गया। इस उन्मुखी कार्यक्रम का शुभारंभ प्रोफेसर चमन लाल गुप्त पूर्व अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के मुख्यातिथि के रूप में आगमन के साथ हुआ। इस अवसर पर दीप प्रज्जवलन और कुलगीत गायन के पश्चात निदेशक प्रोफेसर देवदत शर्मा ने मुख्यातिथि का अभिनंदन पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह से किया और बताया कि 1989 में स्थापना के बाद से अब तक लगभग 500 उन्मुखी, पुनश्चर्या एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए दिशा-निर्देशों के अनुरूप सत्र 2019-2020 में कार्यक्रम करने वाला यह प्रथम मानव संसाधन विकास केंद्र है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र द्वारा करवाए जाने वाले कार्यक्रमों में देश भर के शिक्षकों की अभिरूचि है और यही कारण है कि बहुत भारी संख्या में शिक्षकों के आवेदन प्राप्त होते हैं। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान मूल्यांकन के मानदंडों पर प्रकाश डाला। मुख्यातिथि प्रो. चमन लाल गुप्त ने शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान चुनौतियां और शिक्षकों के बदलते कर्तव्यों पर प्रकाश डाला और एक अच्छे शिक्षक में क्या-क्या अनिवार्य विशेषताएं रहनी चाहिएं, पर अपनी बात को रखा और उन्होंने विश्वास जताया कि 3 सप्ताह का यह उन्मुखी कार्यक्रम सभी नवोदित अध्यापकांे के शैक्षिक जीवन में सर्वांगीण विकास करेगा। उन्होंने अपने जीवन के अनेक अनुभव भी शिक्षकों से साझा किए। इस दौरान 3 साप्ताहिक कार्यक्रम के प्रभारी डा. जोगिंद्र सकलानी (सह निदेशक) ने मंच संचालन करते हुए सभी प्रतिभागियों के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और उनका पारस्परिक परिचय भी करवाया। इस तीन साप्ताहिक उन्मुखी कार्यक्रम में 8 राज्यों से 14 विषयों के 38 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
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