केसर कोर्म का हब बनेगा हिमाचल

By: May 10th, 2019 12:01 am

आईएचबीटी के वैज्ञानिकों ने खोजी जगह जहां दोगुने साइज का कोर्म होगा तैयार

पालमपुर – हिमालयन जैवसंपदा प्रौद्योगिकी के वैज्ञानिकों ने प्रदेश में ऐसी जगह ढूंढ निकाली है, जहां की जलवायु में मसालों के राजा ‘केसर‘ के दोगुना साइज के कोर्म तैयार किए जा सकते हैं। इससे आने वाले समय में उच्च गुणवत्तायुक्त केसर की बढि़या पैदावार की संभावना बन रही है। जानकारी के अनुसार देश में सालाना करीब सौ टन केसर की खपत होती है, जबकि देश के कुछ हिस्सों में मात्र चार टन केसर की पैदावार ही अब तक हो रही है। इसलिए बाकी मांग पूरा करने के लिए विदेशों से आयात किए जाने वाले केसर पर निर्भर रहना पड़ता है। केसर का अधिकतर उत्पादन कश्मीर के पंपोर और किश्तवाड़ इलाकों में होता है। सीएसआईआर-आईएचबीटी के वैज्ञानिकों ने कुछ पहले पूर्व लाहुल-स्पीति में करीब 20 हेक्टेयर भूमि पर केसर और चाइनिज जिनसेंग पर काम शुरू किया था और इसके अच्छे परिणाम मिले थे। इससे प्रोत्साहित होकर संस्थान के वैज्ञानिकों ने प्रदेश के कुछ अन्य स्थानों पर केसर उगाने के प्रयोग शुरू किए थे। जानकारी के अनुसार आईएचबीटी के वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों से प्रदेश में ऐसी जगह का पता लगा लिया है, जहां पर एक साल में दोगुनी साइज का कोर्म तैयार हो सकेगा। इसका सीधा असर केसर की पैदावार पर होगा और प्रदेश केसर तैयार करने वाले बड़े राज्य के तौर पर उभर सकेगा। हालांकि कुछ कारणों से संस्थान के वैज्ञानिक उस जगह का नाम सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह तय है कि जल्द ही कोर्म प्रोडक्शन सेंटर की स्थापना किए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने मैथेमैटिक्ल मॉडलिंग तकनीक से इस बात का पता लगाया कि देश व प्रदेश के किन क्षेत्रों में केसर की खेती हो सकती है। सफल ट्रायल से ऐसे स्थानों को चिन्हित किया गया, जहां केसर की भरपूर फसल ली जा सकती है। ऐसे स्थान भी मिले हैं , जहां केसर के बीमारी रहित बड़े साइज के कोर्म तैयार किए जा सकते हैं। 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App