जल्द भेजो ट्रेनी कंडक्टरों का ब्यौरा
ट्रिब्यूनल ने एचआरटीसी से मांगी कौशल विकास भत्ते के परिचालकों की रिपोर्ट
हमीरपुर – कौशल विकास भत्ते के तहत प्रशिक्षित परिचालकों के मामले में हिमाचल पथ परिवहन निगम पर राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल द्वारा की गई सख्ती के बाद निगम हरकत में आया है। एचआरअीसी की ओर से प्रदेश के सभी डिपुओं को आदेश जारी किए गए हैं कि वे अपने-अपने डिपुओं के उन ट्रेनी कंडक्टरों का ब्यौरा दें, जिन्हें दो से तीन साल तक सेवाएं देने के बाद हटा दिया गया था और बाद में वे कोर्ट चले गए थे। प्रबंधन की ओर से जारी आदेशों में बाकायदा एक फार्म दिया गया है, जिसमें प्रशिक्षित परिचालक का नाम पूरे एड्रेस सहित और उसने कब से कब तक सेवाएं दी हैं, इसका ब्यौरा लिखना होगा। प्रबंधन ने कोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि जानकारी तुरंत प्रेषित की जाए। जानकारी मिली है कि सभी डिपुओं ने निगम को रिपोर्ट भेज दी है। गुरुवार को कोर्ट में इस मामले को लेकर फिर से सुनवाई होनी है। गौर हो कि 72 परिचालकों ने राज्य प्रशासिनक ट्रिब्यूनल में याचिका दर्ज करवाकर न्याय की गुहार लगाई थी। उधर, इस बारे में आरएम हमीपुर एचआरटीसी विवेक लखनपाल ने बताया कि शिमला से आला अफसरों ने कौशल विकास भत्ते के तहत सेवाएं दे चुके प्रशिक्षित परिचालकों का ब्यौरा मांगा है। उन्होंने कहा कि यहां से डिटेल भेज दी है।
साढ़े 11 हजार ने लिया प्रशिक्षण
कौशल विकास भत्ते के तहत वर्ष 2015 से 2018 तक करीब साढ़े 11 हजार युवाओं ने एचआरटीसी में प्रशिक्षण लिया था। इनमें 15-15 दिन की ट्रेनिंग के बाद उनसे अढ़ाई-अढ़ाई माह तक इंडीपेंडेंट बसों में बतौर कंडक्टर काम लिया गया था। उस वक्त इन्हें 15 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से 120 रुपए डेली दिए जाते थे, जो कि बाद में प्रति घंटा 25 रुपए किए गए थे। बताते हैं कि हजारों की तादाद में ट्रेनिंग लेने वाले कुछ ऐसे युवा भी हैं, जिन्होंने छोटे-छोटे ब्रेक के बाद लगातार दो से तीन साल बतौर कंडक्टर निगम में सेवाएं दीं, क्योंकि उन्हें आस थी कि निगम कभी न कभी उन्हें नियमित कर लेगा।
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