पहले बैकॉप्स कंपनी का खुलासा करें राहुल

By: May 6th, 2019 12:02 am

 शिमला —मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह पहले भारत और फिर इसी नाम से इंग्लैंड में बनी कंपनी बैकॉप्स लिमिटेड से अपने संबंधों का खुलासा जनता के समक्ष करें। शिमला से जारी एक प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 2002 में भारत में बैकॉप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड बनी थी। इस कंपनी में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी निदेशक थे। 2003 में लंदन में इसी नाम से यह कंपनी बनी और उसमें राहुल गांधी के अलावा एक अमरीकी नागरिक मैकनाइट निदेशक थे। जून 2005 में इसमें राहुल 65 और मैकनाइट के 35 फीसदी हिस्सेदार थे।  2004 में राहुल ने अपने चुनावी हलफनामे में बैकॉप्स यूरोप तथा तीन बैंक खातों की बात कही थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2009 में राहुल गांधी दोनों ही कंपनियों से निकल गए। 2011 में फ्रांसीसी फर्म नवल ग्रुप डीसीएसएन इंडिया को भारत सरकार ने स्कॉपीन पनडुब्बियों के निर्माण का भारत में कांट्रैक्ट दिया। उस कंपनी ने अपनी भारतीय सहयोगी कंपनी के साथ करार किया। फ्लैश फोर्ज ने 2011-12 में ऑप्टिकल आर्मर का अधिग्रहण कर लिया। अमरीकी नागरिक मैकनाइट उस कंपनी में निदेशक बना दिए गए। उन्हें कंपनी के 4.9 फीसदी शेयर दिए गए। जयराम ठाकुर ने कहा कि बैकॉप्स का अर्थ बैक ऑफिस होता है। यह न तो मैन्युफेक्चरिंग में थी और न ही सर्विस सेक्टर में बल्कि लाइजनिंग कंपनी थी। इसका मकसद काम करवाकर पैसे लेना था। राहुल गांधी की मित्र मंडली में एक विंग कमांडर मटू भी थे और उन्हें रखने के पीछे उद्देश्य था रक्षा क्षेत्र के सौदे किए जा सकें। दोनों का लंदन का पता था दो फंगलनल लंदन यह लंदन का विशिष्ट इलाका है। इस घर के मालिक थे अजिताभ बच्चन और उनकी पत्नी रोमेला बच्चन। उन्होंने आरोप लगाया कि छह पनडुब्बी बनाने का ठेका सरकार से मिला, उस ठेके में भारत की एक छोटी सी कंपनी भी चुनी गई। मैकनाइट की दो कंपनियों को फ्लैशफोर्स ले लेती है। उसके बाद वह उसके निदेशक बन जाते हैं। उस कंपनी को ऑफसेट कांट्रैक्ट मिल जाता है इस ऑफसेट कांट्रैक्ट का लाभार्थी गांधी परिवार है। इससे यही साबित होता है कि इसमें साफतौर से घोटाला हुआ है।

 


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