पांच प्रमुख नदियों का प्रदेश है हिमाचल

By: May 1st, 2019 12:05 am

नदियों द्वारा हिमाचल प्रदेश को गंगा और सिंधु के मैदानों तक पानी उपलब्ध कराने का श्रेय  प्राप्त है। हिमाचल प्रदेश में असंख्य ही नदियां और नाले हैं, जिनमें  सारा वर्ष अथाह जल राशि  रहती है, परंतु इनमें पांच नदियां ऐसी हैं जिनका सारे देश के भूगोल, संस्कृति और इतिहास  से संबंध जुड़ा है…

गतांक से आगे …

   बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाओं की विद्यमानता के कारण नदियों द्वारा हिमाचल प्रदेश को गंगा और सिंधु के मैदानों तक पानी उपलब्ध कराने का श्रेय प्राप्त है। हिमाचल प्रदेश में असंख्य ही नदियां और नाले हैं, जिनमें  सारा वर्ष अथाह जल राशि रहती है, पंरतु इनमें पांच नदियां ऐसी हैं जिनका सारे देश के भूगोल, संस्कृति और इतिहास  से संबंध जुड़ा है। आधुनिक युग में पंजाब पांच नदियां का प्रदेश न होकर हिमाचल प्रदेश पांच नदियों का प्रदेश है।

ये निम्न हैं:

सतलुज:

यह वेदों में ‘सुतुद्रि’ और संस्कृतिक साहित्य में ‘शुतद्रु’ के नाम से वर्णित नदी है जो तिब्बत स्थित मानसरोवर की झील के पास कैलाश पर्वत के दक्षिण में राक्सताल झील से निकलकर 400 किलोमीटर के लगभग की दूरी तय करने के बाद जस्कर और बृहद हिमालय को काटती हुई शिपकी दर्रे के पास हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। शिपकी से थोड़ा नीचे पहुंचने पर स्पिति घाटी की प्रसिद्ध 112 किलोमीटर लंबी स्पिति नदी उत्तर की ओर से इसमें  शामिल हो जाती है उसके बाद यह दक्षिण-पश्चिमी दिशा में बहती हुई  चली जाती है।

बिलासपुर के भाखड़ा गांव हिमाचल की सीमा को छोड़ कर पंजाब की सीमा में प्रवेश कर जाती है । यहीं अस पर एशिया का सबसे ऊंचा भाखड़ा-बांध बना है। इसमें दो दर्जन के लगभग सहायक नदियां और खड्डे शामिल होती हैं जिनमें  स्पिति के अतिरिक्त किन्नौर की 72 किलोमीटर लंबी वास्पा नदी प्रसिद्ध है। भावा भी  इसकी सहायक है। खाब से नीचे संकरे पाट से बहती सतलुज मार्गे के पूर्वोत्तर में अनेकों शिला-खड़ों को एक दूसरे पर लादे हुअ सा पर्वत शैल ढांका स्थित है।

मानसरोवर से ही सतलुज का मार्ग प्रशस्त करने वाला बाणसुर था, जिसकी कीर्ति के गीत पूर्व में ब्रह्मपुत्र उपत्यका से लेकर पश्चिम में ब्यास के जलसंग्रहण भू-भाग तक पाए जाते हैं पौराणिक विवरणों में उसे विरोचन का पौत्र और राजा बलि का पुत्र कहा गया है। किन्नौर में एक युग ऐसा आया जब उसे  मेशुर (महेश्वर शिव) का जनक तक कहा गया । योंतों समूचे हिमालय में अनेक गाथाएं हैं, जिनमें कहीं वह सेना-नायक हैं, कहीं मंत्री और किसी में राजा।  


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