महंगी किताबें खरीदने को मजबूर न करें स्कूल
चेन्नई -तमिलनाडु में राज्य बाल संरक्षण आयोग ने राज्य शिक्षा आयोग से कहा है कि वह स्कूलों को कहे कि वे बच्चों को प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने के लिए बाध्य न करें। इस निर्देश के पीछे यह तर्क दिया गया है कि इससे बच्चों और उनके परिवार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है, जो कि शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन है। शिक्षा विभाग को लिखे गए एक पत्र में अधिकारियों ने कहा है कि कई स्कूल बच्चों के अभिभावकों पर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने का दबाव डालते हैं, जबकि एनसीईआरटी और राज्य सरकार की किताबें उपलब्ध हैं। इन स्कूलों की मनमानी के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की गई है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि इससे छात्रों के बीच असमानता पैदा होती है, क्योंकि शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 29 कहती है कि हर स्कूल द्वारा यूनिफॉर्म और स्लेबस संबंधी नियमों का पालन किया जाना चाहिए। इस आयोग की मुखिया एमपी निर्मला ने कहा, हमें अभिभावकों से लगातार शिकायत मिल रही थी कि पहली कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को भी प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इससे उनके ऊपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
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