माता बगलामुखीअवतरण दिवस

By: May 11th, 2019 12:07 am

मां बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। मां बगलामुखी का एक नाम पीतांबरा भी है। इन्हें पीला रंग अति प्रिय है, इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अतः साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करने चाहिए…

वैशाख शुक्ल अष्टमी को देवी बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है, जिस कारण इसे मां बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह जयंती 12 मई को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत एवं पूजा उपासना की जाती है। साधक को माता बगलामुखी के निमित्त पूजा अर्चना एवं व्रत करना चाहिए। बगलामुखी जयंती पर्व देश भर में हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर जगह-जगह अनुष्ठान के साथ भजन संध्या एवं विश्व कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा महोत्सव के दिन शत्रु नाशिनी बगलामुखी माता का विशेष पूजन किया जाता है और रातभर भगवती जागरण होता है।

मां बगलामुखी स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री है अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती है। मां बगलामुखी का एक नाम पीतांबरा भी है, इन्हें पीला रंग अति प्रिय है, इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है। अतः साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करने चाहिए। देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं, यह स्तंभन की देवी हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश हैं। शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए माता बगलामुखी की उपासना की जाती है।

इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन। अतः मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। बगलामुखी देवी रत्नजडि़त सिहासन पर विराजती हैं। रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हंै। देवी के भक्त को तीनों लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है। पीले फूल और नारियल चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हंै। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढ़ाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है। बगलामुखी देवी के मंत्रों से सभी दुखों का नाश होता है। बगलामुखी कथा- देवी बगलामुखी जी के संदर्भ में एक कथा बहुत प्रचलित है। जिसके अनुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ। जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा। इससे चारों ओर हाहाकार मच जाता है और अनेको लोग संकट में पड़ गए और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए। इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव का स्मरण करने लगे। तब भगवान शिव उनसे कहते हैं कि शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अतः आप उनकी शरण में जाएं। तब भगवान विष्णु हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप करते हैं। भगवान विष्णु ने तप करके महात्रिपुरसुंदरी को प्रसन्न किया। देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ। उस समय चतुर्दशी की रात्रि को देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुईं। त्रलोक्य स्तंभिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न हो कर विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रुक सका। देवी बगलामुखी को वीर रति भी कहा जाता है, क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं। इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसीलिए देवी सिद्धविद्या है। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं, गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं।

मां बगलामुखी पूजन- मां बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रातःकाल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए। पूजा करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्वलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें। इस पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक होता है। मंत्र सिद्ध करने की साधना में मां बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर इसे अंकित करें। मां बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति संपन्न हो जाता है। यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम है। मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए, तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है। बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति संपन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है।


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