शिवखोड़ी गुफा

By: May 11th, 2019 12:06 am

शिवखोड़ी शिवालिक पर्वत शृंखला में एक प्राकृतिक गुफा है, जिसमें प्रकृति निर्मित शिवलिंग विद्यमान है। शिवखोड़ी तीर्थ स्थल पर महाशिवरात्रि के दिन बहुत बड़ा मेला आयोजित होता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग दूर-दूर से यहां आकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और आयोजित इस मेले में शामिल होते हैं। शिवखोड़ी की यात्रा बारह महीने चलती है। अति प्राचीन मंदिरों के कई अवशेष अब भी इस क्षेत्र में बिखरे पड़े हैं। शिवखोड़ी शिवभक्तों के लिए एक महान तीर्थ स्थल है। दुनिया के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में एक अनोखी जगह है जिसके लिए कहा जाता है कि यहां साक्षात भगवान शिव वास करते हैं। प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार यहां एक सुरंग बनी हुई है, जिसका दूसरा सिरा अमरनाथ गुफा में खुलता है। हालांकि आज तक जिसने भी इस गुफा में जाने की कोशिश की, वापस लौट कर नहीं आया। जम्मू से करीबन 140 किलोमीटर दूर ऊधमपुर में मौजूद इस गुफा को शिवखोड़ी कहा जाता है। माना जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव का वास है। अमरनाथ यात्रा के लिए जाने वाले भक्तजन इस गुफा में अवश्य दर्शन करते हैं। भक्तों के अनुसार इस गुफा का दूसरा सिरा अमरनाथ गुफा में खुलता है। द्वापर युग में  श्रद्धालु इसी गुफा से अमरनाथ जाया करते थे, परंतु कलियुग में यह रास्ता बंद हो गया है। जो कोई भी इस गुफा में आगे बढ़ने का प्रयास करता है, वह वापस नहीं लौटता। फिलहाल यह सुरंग बंद कर दी गई है। यह गुफा एक मीटर चौड़ी, 3 मीटर ऊंची और 200 मीटर लंबी है। इस गुफा में स्वयं भू शिवलिंग के साथ ही माता पार्वती तथा नंदी की मूर्ति विद्यमान है। साथ ही गुफा की छत पर सांप की आकृति खुदी हुई है। कहते हैं कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार भस्मासुर को वरदान देने के बाद जब भस्मासुर स्वयं भगवान शिव को ही भस्म करने के पीछे लग गया, तब भोले नाथ ने पहाड़ों में एक गुफा बनाई और उसमें छिप गए। इसी गुफा को शिवखोड़ी कहा जाता है। बाद में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर का अंत किया और इसके बाद भोले नाथ गुफा से बाहर आ गए।


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