समुद्र मंथन से प्राप्त रत्नों के रहस्य

By: May 11th, 2019 12:05 am

समुद्र मंथन के छठे क्रम में निकला था सारी इच्छाओं को पूरा करने वाला कल्पवृक्ष। इसे स्वर्ग के देवताओं ने मिलकर स्वर्ग में स्थापित कर दिया। कल्पवृक्ष प्रतीक है हम सबकी इच्छाओं का। कल्पवृक्ष से जुड़ा लाइफ  मैनेजमेंट का सूत्र कहता है कि अगर आप अपने जीवन में परमात्मा रूपी अमृत को प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप अपनी सभी इच्छाओं का त्याग कर दीजिए…

-गतांक से आगे…

  1. कौस्तुभ मणि

समुद्र मंथन के पांचवें क्रम में कौस्तुभ मणि निकला था। इसे भगवान श्री हरि विष्णु ने अपने हृदय पर धारण कर लिया। कौस्तुभ मणि प्रतीक है भक्ति का। जब आप के मन से सारे विकार निकल जाएंगे, तब आपके मन में भक्ति ही शेष रह जाएगी। यही भक्ति हम सबके भगवान अर्थात परमात्मा ग्रहण करेंगे।

  1. कल्पवृक्ष

समुद्र मंथन के छठे क्रम में निकला था सारी इच्छाओं को पूरा करने वाला कल्पवृक्ष। इसे स्वर्ग के देवताओं ने मिलकर स्वर्ग में स्थापित कर दिया। कल्पवृक्ष प्रतीक है हम सबकी इच्छाओं का। कल्पवृक्ष से जुड़ा लाइफ  मैनेजमेंट का सूत्र कहता है कि अगर आप अपने जीवन में परमात्मा रूपी अमृत को प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप अपनी सभी इच्छाओं का त्याग कर दीजिए। अगर मन मे इच्छाएं होंगी तो आप परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकते।

  1. रंभा अप्सरा

समुद्र मंथन के सातवें क्रम में रंभा नाम की अप्सरा निकली थी जो बहुत ही सुंदर थी। वह सुंदर वस्त्र और आभूषण पहने हुए थी। उसकी चाल मन को लुभाने वाली थी। रंभा अप्सरा को भी देवताओं ने अपने पास ही रख लिया। अप्सरा प्रतीक है इनसान के मन में छुपी वासना की। जब कभी भी हम सब किसी विशेष काम में लगे होते हैं, तब हम सबके अंदर वासना आकर हम सबका मन विचलित करने का प्रयास करती है। उस स्थिति में हम सब को अपने मन पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है।

  1. देवी लक्ष्मी

समुद्र मंथन के आठवें स्थान पर निकली थीं देवी लक्ष्मी। देवी लक्ष्मी को देखते ही असुर, देवता और ऋषि-मुनि सभी चाहते थे कि लक्ष्मी उन्हें मिल जाए। लेकिन देवी लक्ष्मी ने भगवान श्री हरि विष्णु को पति रूप में स्वीकार कर लिया। लाइफ  मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो लक्ष्मी प्रतीक हैं धन, वैभव, ऐश्वर्य व अन्य सांसारिक सुखों की। जब हम सब परमात्मा रूपी अमृत को प्राप्त करना चाहते हैं तो सांसारिक सुख भी हमें अपनी ओर खींचते हैं। लेकिन हम सब को उस ओर ध्यान न देकर केवल परमात्मा की भक्ति में ही ध्यान लगाना चाहिए, तभी हम सबको अमृत (परमात्मा) प्राप्त हो सकते हैं। धन और वैभव की देवी लक्ष्मी को तुलसी माता की सहेली भी माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि अगर शाम के समय घर के आंगन में लगी तुलसी के पास दीया जलाया जाए, तो शाम के वक्त घूमने निकलने वाली माता लक्ष्मी उस दीये के कारण उस घर में स्थायी रूप से निवास करनी लगती हैं। अतः तुलसी के पास दीया जलाने का अपना विशेष महत्त्व है। 


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