अब चीड़ की पत्तियां संवारेंगी लोगों की तकदीर

By: Jun 14th, 2019 12:05 am

डलहौजी—जंगलों में आग भड़काने वाली चीड़ की पत्तियां अब लोगों की तकदीर संवारेगी। प्रदेश सरकार द्वारा वन संपदा के संरक्षण व ईधन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक नीति चलाई गई है। इसमें चीड़ की पत्तियों से कोयला यानी पाइन ब्रिकेट बनवाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह ईधन की जरूरत पूरी करने के साथ ही वनाग्नि का खतरा कम करने में सहायक सिद्ध होगी । चीड़ की पत्तियों से ब्रिकेटस तैयार करने के लिए स्थापित किए जाने वाले उद्योग की सभी औपचारिक्ताएं पूरी होने के बाद वन विभाग मंजूरी देगा। मंजूरी मिलते ही निजी  क्षेत्र में चीड़ की पत्तियों पर आधारित उद्योग कार्य करना शुरू कर देंगे। चीड़ की पत्तियों पर आधारित औद्योगिक इकाइयों को लगाने के लिए करीब दस लाख से लगने वाले इस संयत्र पर सरकार निवेशकों को 50 प्रतिशत की ग्रांट देगी। ग्रांट का यह पैसा निवेशकों को एक साथ न देकर तीन किश्तों में दिया जाएगा।  चीड़ की पत्तियों से सीमेंट, बायलर जैसे बड़े उद्योगों के लिए ईंधन की मांग पूरा करेगा। वनमंडलाधिकारी डलहौजी राकेश कटोच ने बताया कि चीड़ की पत्तियां अत्यधिक ज्वलनशील भी है। इसलिए यह पूरे हिमालय क्षेत्र के पर्यावरण, वन्य जैव विविधता और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है, जबकि पाइन नीडल से बनी ये ब्रिकेटस कम लागत पर अधिक ताप प्रदान करते हैं और लकड़ी या कोयले की तुलना में पर्यावरण को कम हानि पहुंचाते हैं। इर्ंधन के रूप में लकड़ी और कोयले के स्थान पर इन ब्रिकेट्स का कई छोटे व बड़े उद्योगों में उपयोग किया जा सकता है। ब्रिकेट्स संयंत्र पर पांच लाख की लागत आएगी। इसमें से पचास फीसद अनुदान मिलेगा। चीड़ की पत्तियों से ब्रिकेट्स तैयार करने पर जंगल में आग लगने की घटनाएं कम होगी। वहीं इन पर आधारित लघु उद्योग लगने से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वहीं अब तक बेकार माने जाने वाला प्राकृतिक अपशिष्ट और जंगल का विनाशक चीड़ की पत्तियां अब फायदेमंद साबित होंगी।


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