अमरीका से निर्यात की चिंताएं

By: Jun 10th, 2019 12:05 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

चाहे अमरीका ने भारत का जीएसपी दर्जा समाप्त कर दिया है, लेकिन जीएसपी दर्जा समाप्त करने से भारत के कुल निर्यात का एक छोटा हिस्सा ही कम होगा। अतएव भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पडे़गा। चूंकि अमरीका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार वाला देश है, अतएव भारत को अमरीका के साथ कारोबार की विभिन्न संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए वाणिज्यिक और कूटनीतिक वार्ता के कदम बढ़ाने होंगे…

इस समय देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि पांच जून से अमरीका द्वारा भारत को सामान्य तरजीही व्यवस्था (जनरलाइज सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस-जीएसपी) के तहत दी जा रही आयात शुल्क रियायतें खत्म कर दिए जाने का कदम अमरीका के विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत स्वीकार दायित्वों के खिलाफ है। वैश्विक कारोबार विशेषज्ञों का कहना है कि अमरीका का भारतीय निर्यात को उपलब्ध प्रोत्साहनों को वापस लेने का फैसला वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन है। पांच जून से भारत का जीएसपी दर्जा वापस लेते समय डोनाल्ड ट्रंप ने अमरीकी कांग्रेस (अमरीका की संसद) के 25 सांसदों के उस अनुरोध को भी नजरअंदाज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत को व्यापार में जीएसपी के तहत दी जा रही शुल्क मुक्त आयात की सुविधा को समाप्त न करते हुए आगे भी जारी रखा जाना चाहिए। इन सांसदों ने कहा था कि जीएसपी भारत के साथ-साथ अमरीका के लिए भी लाभप्रद है। इस व्यवस्था से अमरीका में निर्यात और आयात पर निर्भर नौकरियां सुरक्षित बनी रहेंगी। इस व्यवस्था के खत्म होने से वे अमरीकी कंपनियां प्रभावित होंगी, जो भारत में अपना निर्यात बढ़ाना चाहती हैं। अमरीकी सांसदों के इस आग्रह को न मानते हुए ट्रंप ने कहा कि पांच जून से भारत को प्राप्त लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा समाप्त करना बिलकुल सही है। ज्ञातव्य है कि जीएसपी व्यवस्था के तहत अमरीका विकासशील लाभार्थी देश के उत्पादों को अमरीका में बिना आयात शुल्क प्रवेश की अनुमति देकर उसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत को वर्ष 1976 से जीएसपी व्यवस्था के तहत करीब 2000 उत्पादों को शुल्क मुक्त रूप से अमरीका में भेजने की अनुमति मिली हुई थी। अमरीका से मिली व्यापार छूट के तहत भारत से किए जाने वाले करीब 5.6 अरब डालर यानी 40 हजार करोड़ रुपए के निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगता था। आंकड़े बता रहे हैं कि जीएसपी के तहत तरजीही के कारण अमरीका को जितने राजस्व का नुकसान होता है, उसका एक-चौथाई भारतीय निर्यातकों को प्राप्त होता था। गौरतलब है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार कहा कि भारत के साथ आयात शुल्क रियायतों पर व्यापार एक मूर्खतापूर्ण कारोबार है। इसी परिप्रेक्ष्य में पिछले मई माह में अमरीका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस अमरीका की 100 कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ भारत आए और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वाणिज्य व उद्योगमंत्री सुरेश प्रभु सहित व्यापार संगठनों से उच्च स्तरीय बातचीत करके भारत द्वारा अमरीकी उत्पादों पर लगाए जा रहे अधिक आयात शुल्क पर जोरदार आपत्ति प्रस्तुत की। रॉस ने कहा कि भारत का औसत आयात शुल्क 13.8 फीसदी है। यह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। आयात शुल्क बाधाओं के कारण ही भारत अभी अमरीका का 13वां बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है, जबकि भारत का सबसे ज्यादा निर्यात अमरीका को होता है। स्थिति यह है कि  2018 में अमरीका का कुल व्यापार घाटा 621 अरब डालर रहा, जिसमें से भारत के साथ उसका व्यापार घाटा 21 अरब डालर रहा। ऐसे में अमरीका भारत सहित उन विभिन्न देशों में अमरीकी सामान के निर्यातों में आ रही नियामकीय रुकावटों को दूर करना चाहता है, ताकि अमरीका के व्यापार घाटे में कमी आ सके। उल्लेखनीय है कि पांच जून से भारत के लिए जीएसपी के तहत आयात शुल्क खत्म करने से पहले अमरीका ने भारत से कई कारोबार रियायतें प्राप्त करना चाही थीं। अमरीका द्वारा भारत से व्यापार में मांगी जा रही छूट उसके द्वारा जीएसपी वापस लिए जाने से भारत को होने वाले राजस्व नुकसान की तुलना में काफी ज्यादा थी। अमरीका भारत से कई और कारणों से भी नाराज था। अमरीकी सरकार ने अपने चिकित्सा उपकरण निर्माताओं एवं डेयरी उद्योग की ओर से भारत के खिलाफ की गई इस शिकायत पर भी ध्यान दिया कि भारत उनके उत्पादों को भारत में आने से तरह-तरह से प्रतिबंधित कर रहा है। अमरीका ने भारत द्वारा चिकित्सा उपकरणों पर निर्धारित की गई कीमत सीमा का भी विरोध किया था। इसके साथ ही भारत द्वारा रूस के साथ पिछले दिनों किए गए रक्षा सौदों पर अमरीका ने भारी नाराजगी जाहिर की थी। निस्संदेह अमरीका द्वारा भारत का तरजीही प्राप्त दर्जा खत्म किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत का कहना है कि उसके राष्ट्रीय हित व्यापार के मामले में सर्वोच्चता रखते हैं।

भारत के लोग भी जीवन जीने के बेहतर मानकों की अपेक्षा रखते हैं। यदि भारत अमरीका के सभी उत्पादों को आयात संबंधी मापदंडों की अवहेलना करते हुए आसानी से भारत में आने देगा, तो उससे भारत के घरेलू उद्योग कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, साथ ही भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को भी ठेस पहुंचेगी। चाहे अमरीका ने भारत का जीएसपी दर्जा समाप्त कर दिया है, लेकिन जीएसपी दर्जा समाप्त करने से भारत के कुल निर्यात का एक छोटा हिस्सा ही कम होगा। अतएव भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका कोई बड़ा असर नहीं पडे़गा। चूंकि अमरीका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार वाला देश है, अतएव भारत को अमरीका के साथ कारोबार की विभिन्न संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए वाणिज्यिक और कूटनीतिक वार्ता के कदम आगे बढ़ाने होंगे। निश्चित रूप से भारत का यह एक सराहनीय कूटनीतिक कदम रहा है कि भारत अमरीका से आयातित बादाम, अखरोट और दालें समेत 29 वस्तुओं पर पिछले एक वर्ष से जवाबी शुल्क लगाने की समय सीमा लगातार आगे बढ़ाता रहा है। हम आशा करें कि नरेंद्र मोदी की नई सरकार भारत का जीएसपी दर्जा खत्म होने के बाद अब भारत-अमरीका विदेश व्यापार संबंधी मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इस तरह आगे बढ़ाएगी कि अमरीका भारत पर कोई नए आयात शुल्क नहीं लगाए। साथ ही भारत-अमरीका कारोबार की बेहतरी की नई डगर भी आगे बढ़ सके।


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