एचपीयू में पुरानी पीठों पर शोध कार्य ठप

By: Jun 12th, 2019 12:02 am

शिमला –हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पहले से ही स्थापित पीठों पर शोध कार्य ठप है और प्रशासन ने नई हस्तियों के नाम पर और भी पीठें स्थापित कर दी हैं। एचपीयू में वर्तमान में तीन ऐसी हस्तियों के नाम पर पीठ चल रही हैं, जो क्रियाशील तो हैं, लेकिन इनमें से केवल एक पीठ को छोड़कर अन्य दो पीठों में शोध कार्य न के बराबर है, जबकि संस्थान में जिन व्यक्तियों के नाम पर पीठ स्थापित की जाती है, उन व्यक्तियों के विषय पर शोध कार्य भी अहम होता है, लेकिन विश्वविद्यालय की डा. दीन दयाल उपाध्याय, डॉ भीमराव अंबेदकर और डा. वाईएस परमार पीठ में से डा. दीन दयाल उपाध्याय पीठ ही ऐसी है, जिसमें शोध कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त डीडीयू पीठ में पीजी डिप्लोमा कोर्स करवाया जा रहा है। वहीं डा. भीमराव अंबेदकर पीठ और डा. वाईएस परमार पीठ में जयंति समारोह व विशेष मौकों पर ही कोई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन शोध कार्य नहीं किया जा रहा है। हालांकि डा. भीमराव अंबेदकर पीठ में इस वर्ष से पीजी डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की योजना है, लेकिन इसके अतिरिक्त प्रदेश विश्वविद्यालय में स्थापित दो पीठों मंे अधिक कुछ नहीं हो रहा है। दूसरी ओर प्रदेश विश्वविद्यालय में जहां दो नई पीठ स्थापित करने को लेकर हाल ही में विवि कार्यकारिणी परिषद ने स्वीकृति प्रदान की है वहीं, चार पीठों डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, स्वामी दयानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और  गुरू नानक देव पीठ को क्रियाशील करने की भी मंजूरी प्रदान की है। गौर रहे कि वश्वविद्यालय की दीन दयाल उपाध्याय पीठ में पीएचडी करने वाले पांच छात्र हैं, जबकि पीजी डिप्लोमा में 30 छात्र हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीजी डिप्लोमा पार्ट टाइम कोर्स पर आधारित है, जिसके चलते अधिकत्तर छात्र अन्य कोर्स भी कर रहे हैं। लिहाजा  इस विषय की कक्षा लगाने वाले छात्र भी कम ही उपस्थित रहते हैं। बताया जा रहा है कि इसमें से भी कई छात्र ऐसे हैं, जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए पुस्तकालय का आईकार्ड बनाने के लिए डिप्लोमा कोर्स कर रहे हैं। ऐसे में ये भी एक बड़ा सवाल है कि विश्वविद्यालय में जिस उदेश्य से जिन हस्तिायों के नाम पर पीठ शुरू की गई है या की जानी है, क्या उसका उद्देश्य वास्तव में पूरा हो रहा है। बता दें कि प्रदेश विश्वविद्यालय में पहले से ही शोध कार्यो को लेकर कई सवाल उठ चुके हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय को पहले से ही आवश्यकता है कि वह शोध को और बेहतर बनाएं। 

शोध कार्यों को लेकर ली जाएगी रिपोर्ट

इस मामले पर प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सिंकदर कुमार का कहना है कि जिस व्यक्ति के नाम पर पीठ बनी है, उस पर शोध कार्य जरूरी है। उन्होंने कहा कि  विवि में बनाई गई पीठ में शोध कार्यों को लेकर क्या किया जा रहा है इस बारे में आगामी दिनों में नियमों के तहत रिपोर्ट ली जाएगी। कुलपति ने बताया कि कार्यकारिणी परिषद में जिन नई पीठ को लेकर मंजूरी प्रदान की गई है, इसके लिए वित्त कमेटी की बैठक में अंतिम मंजूरी मिलने के बाद आगामी कार्य शुरू किया जाएगा।

 


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