कार्यशील रहना

By: Jun 29th, 2019 12:02 am

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव

 मैं नहीं जानता कि आप इनसानी दुखों के बारे में कितना जानते हैं। मैं रोजाना सैंकड़ों लोगों से मिलता हूं और जिस पल वे मेरे सामने बैठते हैं, मैं उनके आर-पार देख पाता हूं, उनका एक-एक हिस्सा देख सकता हूं। चाहे वे अपने चेहरे पर कितनी भी खुशी ओढ़ कर बैठें, मैं उनके आर-पार देख सकता हूं। अगर आप देखेंगे कि इनसान ने कितने दुखों का ईजाद किया है, तो वाकई हैरानी होगी। उन्होंने दुखी होने के कितने तरीके खोज लिए हैं…

काम करने का असली आनंद वही जान सकता है, जिसे काम करने की कोई जरूरत न हो। जब आपको मजबूरी में काम करना पड़ता है, तो आप नहीं जान पाते कि काम करना क्या होता है। अगर मैं आंखें बंद कर लूं तो मैं मरने तक इसी तरह बैठा रह सकता हूं। अगर मैं कितने भी दिन सिर्फ  एक जगह पर बैठा रहूं, तो मेरे मन में एक भी विचार नहीं होगा। उस समय मैं बस जीवित रहूंगा। कोई विचार या भावनाएं कुछ नहीं सिर्फ  जीवन।

जब आपको काम करने की जरूरत नहीं होती, जब आप भीतरी विवशता के कारण काम नहीं करते,तो आप अपने शरीर से या अपने मन में जो कुछ भी करते हैं, वह आपको परमानंद की ओर ले जाता है। अगर आप कुछ नहीं करते, तब भी आप आनंदित होते हैं। मेरे जीवन का सबसे सुंदर समय वह होता है, जब मैं कुछ नहीं कर रहा होता हूं। सिर्फ  शारीरिक तौर पर नहीं, बल्कि किसी भी तरह से कुछ भी नहीं। मगर आप काम इसलिए करते हैं क्योंकि अपने आसपास देखते हुए आपको लगता है कि दुनिया में उस काम की जरूरत है।

जब आपके साथ कुछ सुंदर होता है, तो आपके अंदर उसे साझा करने की कुदरती इच्छा होती है। जब आप कोई अच्छा चुटकुला भी सुनते हैं, तो क्या आप घर जाकर रजाई में घुसकर खुद को वह सुनाते हैं या आप अपने दोस्त को ढूंढकर उसे वह चुटकुला सुनाना चाहते हैं। कहीं न कहीं आप क्या हैं और दूसरा क्या है, यह अलग-अलग नहीं होता, आप उसे अनदेखा नहीं कर सकते।क्या इसका मतलब है कि हमें किसी न किसी तरह कुछ करना है नहीं। जैसा कि मैंने कहा, अगर मैं आंखें बंद करूं  तो मुझे उन्हें फिर से खोलने की जरूरत नहीं है। मैं बस बैठकर अपना जीवन बिता सकता हूं। मगर लोग अलग-अलग रूप में जीवन जी रहे हैं। मैं नहीं जानता कि आप इनसानी दुखों के बारे में कितना जानते हैं। मैं रोजाना सैंकड़ों लोगों से मिलता हूं और जिस पल वे मेरे सामने बैठते हैं, मैं उनके आर-पार देख पाता हूं, उनका एक-एक हिस्सा देख सकता हूं।

चाहे वे अपने चेहरे पर कितनी भी खुशी ओढ़ कर बैठें, मैं उनके आर-पार देख सकता हूं। अगर आप देखेंगे कि इनसान ने कितने दुखों का ईजाद किया है, तो वाकई हैरानी होगी। उन्होंने दुखी होने के कितने तरीके खोज लिए हैं। नरक के चौकीदार भी आपसे जीत नहीं सकते। आपको लगेगा कि आपके पास दुखी होने के लिए बहुत सी वजहें हैं, मगर ईमानदारी से इसे देखें तो लगेगा कि वास्तव में कोई वजह ही नहीं है।


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