किक बाक्सिंग में आत्मरक्षा के अलावा करियर संवारने का मौका

By: Jun 19th, 2019 12:07 am

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रैफरी ने सफलता के तंतुओं का तानाबाना ऐसा बुना कि वह विश्व प्रसिद्ध हो गई। खुली आंखों से देखा सपना सकार हुआ।  गरीब परिवार की बेटी किस तरह से अपने जीवन में आगे बढ़ती है ऐसा ही कुछ कर दिखाया है ज्वालामुखी की पंचायत गुम्मर के सपड़ी गांव की बेटी मीनाक्षी ने जो एक निजी स्कूल में क्लर्क की नौकरी के साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखे हुए है और किक बाक्सिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर की मैच रैफरी भी बन गई है। अपनी इस सफलता का श्रेय अपने गुरु संजय कुमार कोच जिन्होंने उन्हें बहुत प्रेरति किया और डा. पवन पटियाल, पिता सुभाष चंद ,माता व भाई बहन को देती है। मीनाक्षी ने बताया कि उनके पिता एक बैंक में कैंटीन चलाते हैं जिस वजह से घर में आर्थिक तंगी रहने की वजह से उसे वह मौका न मिल पाया जिसकी उसे तलाश थी। बावजूद इसके अध्यापक संजय कुमार व अपने गुरु कोच डा. पवन पटियाल के मागर्दर्शन व सहयोग से वह आगे बढ़ रही है। मीनाक्षी ने बताया कि उसकी सीनियर छात्रा मनीषा वेट लिफिटंग की चैंपियन रही है उसने उसे किक बाक्सिंग के लिए प्रेरित किया और कालेज स्तर पर उसने कई मैच खेले। उसका आत्मविश्वास कालेज के शारीरिक शिक्षक डा. पवन पटियाल ने बढ़ाया ।  मीनाक्षी के अनुसार छात्राओं व महिलाओं को किट बाक्सिंग न केवल आत्मरक्षा के गुर ही सिखाएगा बल्कि करियर के लिए भी यह एक अच्छा क्षेत्र है। मीनाक्षी ने कहा कि उसने ज्वालामुखी कालेज में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान सुंदरनगर, सोलन व आंध्रप्रदेश में जाकर मैच खेले वहां पर उसे कांस्य पदक व सिलवर पदक जीतने का मौका मिला। मई 2019 में चंडीगढ़ में आयोजित बैको किक इंडिया बाक्सिंग चैंपियनशिप में उन्होंने भाग लिया। यहां पर आयोजित सैमिनार में उनको प्रशिक्षण दिया गया। उसने टैस्ट पास किए और उसको वैको इंडिया अंतरराष्ट्रीय स्तर का रैफरी बनाया गया। वह शीघ्र ही रोहतक हरियाणा में मैच खेलने के लिए जा रही है। उसे जब भी मैच रैफिरिंग का मौका मिलेगा वह अपनी सेवाएं देने के लिए कहीं भी जा सकती है। उसने कहा कि चंडीगढ़ में पूरे देश भर से दो सौ के करीब प्रतिभागी इस कैंप में टैस्ट देने के लिए आए थे जिसमें हिमाचल के पांच लोगों को यह टैस्ट के बाद जगह मिली है। उसने बताया कि वह अपने कालेज में बाक्सिंग की कप्तान रही है। वह परशुराम अवार्ड विजेता संजय यादव से बहुत अधिक प्रभावित रही है जो समय समय पर हिमाचल प्रदेश में रैसलिंग व किक बाक्सिंग के कैंप आयोजित कर खिलाडि़यों को प्रशिक्षण प्रदान करवाते है। मंडी के संजय यादव विभिन्न कालेजों में भी टूर्नामेंट करवाते हैं। सैमिनार आयोजित करवाकर विशेष ट्रेनंग खिलाडि़यों को दी जाती है जिसमें टैस्ट क्लीयर करने वालों को किक बाक्सिंग में रैफरी का प्रमाणपत्र दिया जाता है। उसने कहा रोहतक के बाद वह गोआ में खेलने जाएगी। और अपनी गेम पर मेहनत करेगी। मीनाक्षी ने कहा कि उसके परिवार के सदस्यों का उसे पूरा सहयोग मिला है। वह अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहती है। वह ग्रेजूएशन के बाद बीएड भी कर रही है ताकि जीवन में कुछ बन सकूं। उसने छात्राओं को भी प्रेरणा दी है कि कुछ बनने के लिए आगे आएं और जमाने को कुछ कर के दिखाए दुनिया झुकती है बस झुकाने वाला चाहिए।

मुलाकात

लड़कियों को आगे बढ़ना है तो लोगों की बातों को अनसुना करना होगा…

कुछ किक बाक्सिंग खेल के विषय में बताएं कि संभावनाएं क्या हैं?

किक बॉक्सिंग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है परंतु अब भारत में अपनी पहचान बना रहा है।

इस खेल में शारीरिक क्षमता और मानसिक दृढ़ता के बीच संतुलन का हिसाब क्या है?

इस खेल में गजब की शारीरिक क्षमता और कमाल की एकाग्रता की जरूरत होती है।

कोई मैच जो केवल आपके लिए ही था। यादगार जीत के क्षणों की अनुभूति?

सुंदरनगर की किक चैंपियनशिप जिसमें मैंने पहला रजत पदक जीता था जो कि मेरे लिए स्वर्ण पदक से कम नहीं था।

लड़कियों के लिए खेलों में करियर बनाना कितना कठिन है ?

लड़कियों के लिए खेलों में करियर बनाना मुश्किल हो सकता है परंतु नामुमकिन नहीं। और अब तो वह समय भी नहीं रहा कि लड़कियां घर के अंदर हैं। 

आपके भीतर का सबसे ताकतवर पहलू क्या है?

आत्मविश्वास जिसके बल पर मैं आज यहां हूं और मंजिल बाकी है

बतौर किक बाक्सर आत्मविश्वास हिलौरें लेता होगा, लेकिन समाज इसे कैसे देखता है?

जी हां उस समय आत्मविश्वास तो चरम सीमा पर होता है समाज क्या सोचता है कोई परवाह नहीं। क्योंकि लोग तो आगे बढ़ने वालों को भी बाते करते हैं और पीछे रहने वालों को इसलिए मंजिल तक पहुंचना है तो  समाज की परवाह नहीं।

जीवन में कुछ कर दिखाने के आपके प्रमुख सिद्धांत?

आत्मविश्वास और कार्य के प्रति दृढ़ता। अपने कार्य को पूरी ईमानदारी से करती हूं। मन भी खुश रहता है।

इस खेल के जरिए आपकी मंजिल और मकसद?

अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना ही मेरा मकसद है।

घरेलू संघर्ष से आपने क्या सीखा और अपनी मेहनत को कैसे आजमाया?

छोटी-छोटी मुश्किलों से जीत कर बड़ी-बड़ी मुश्किलों से जूझना।  मुझे लगता है। घरेलू संघर्ष हमें बहुत कुछ सीखा देता है।

कोई तो सपना आज भी बेचैन करता होगा?

अपने खेल के जरिए विदेश में तिरंगा फहराना। यह सपना पाला है और इसे पूरा भी करना है

किक बाक्सिंग के जरिए आपका सशक्त पहलू सामने आया, लेकिन ऐसा कौन सा पक्ष है जो मीनाक्षी को अत्यंत कोमल बनाता है?

सामने वाले को चोट लगने पर।

अपनी खेल प्रतिज्ञा को आगे बढ़ाते हुए किस राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के आदर्श या स्टाइल अपनाती हो?

मैरी कौम

आपके लिए जीवन क्या है और जो दूसरों में देखकर कभी ईर्ष्या होती हो?

मेरे लिए जीवन संघर्ष है और दूसरों के लिए मेरे मन में ईर्ष्या का कोई स्थान नहीं है और कभी आएगा भी नहीं।

क्या मीनाक्षी का कोई सहज मनोरंजन भी है जहां पल भर के लिए प्रैक्टिस भूल कर अपनी दुनिया बदल देती है?

मेरे लिए सहज मनोरंजन है न  जब भी थोड़ा फ्री होती हूं, तो गाने सुन लेती हूं अच्छी वीडियो देख लेती हूं, जो मुझे प्रेरित करती हैं।

शैलेष शर्मा, ज्वालाजी


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App