केदारनाथ पर संकट के बादल
वैज्ञानिकों का दावा; धाम के ऊपर फिर बनी झील, 2013 में आई थी मौत की तबाही
देहरादून -साल 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा ने पूरी केदारघाटी को तहस-नहस कर दिया था। इसके बाद सरकार और आम लोगों ने आगे बढ़कर केदारघाटी को फिर से खड़ा कर तो दिया है, लेकिन अब छह साल बाद फिर से केदारनाथ पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल, 2013 में केदारनाथ आपदा की मुख्य वजह बनी चोराबाड़ी झील के दोबारा पुर्नजीवित होने का दावा किया जा रहा है। वाडिया इंस्टीच्यूट के वैज्ञानिकों का कहना है कि चोराबाड़ी झील के दोबारा विकसित होने की खबर है, जिसके बाद एक टीम झील की जांच करने के लिए रवाना हो चुकी है। हालांकि, वाडिया इंस्टीच्यूट के वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि जो नई झील बनी है वो चोराबाड़ी झील नहीं है, जिस झील के बनने का हमें पता चला है वह केदारनाथ मंदिर से पांच किलोमीटर ऊपर है, जबकि चोराबाड़ी झील, जिससे केदारघाटी में विनाश हुआ था, वह मंदिर से दो किलोमीटर ऊपर थी। वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भू-वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि कुछ दिन पहले रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने हमें एक जानकारी दी थी, जिसके तहत कुछ लोग केदारनाथ से करीब पांच किलोमीटर ऊपर गए थे, जहां ग्लेशियर के बीच में एक झील बने होने की बात बताई गई है, लेकिन जो झील बताई जा रही है, वह चोराबाड़ी झील नहीं है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि केदारनाथ मंदिर से भले यह नई झील पांच किलोमीटर ऊपर है, लेकिन झील चाहे दो किलोमीटर ऊपर बनी हो या पांच किलोमीटर खतरा उतना ही बड़ा है, जितना साल 2013 में था। आने वाली आपदा को रोकने के लिए सही मायने में अभी से ही कुछ करने की जरूरत है।
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