दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम्
-गतांक से आगे…
वामा च पञ्चतपसां वरदात्री प्रकीर्तिता।
वाच्यवर्णेश्वरी विद्या दुर्जया दुरतिक्रमा।। 86।।
कालरात्रिर्महावेगा वीरभद्रप्रिया हिता।
भद्रकाली जगन्माता भक्तानां भद्रदायिनी।। 87।।
कराला पिङ्गलाकारा कामभेत्त्री महामनाः।
यशस्विनी यशोदा च षडध्वपरिवर्तिका।। 88।।
शङ्खिनी पद्मिनी संख्या सांख्ययोगप्रवर्तिका।
चैत्रादिर्वत्सरारूढा जगत्सम्पूरणीन्द्रजा।। 89।।
शुम्भघ्नी खेचराराध्या कम्बुग्रीवा बलीडिता।
खगारूढा महैश्वर्या सुपद्मनिलया तथा।। 90।।
विरक्ता गरुडस्था च जगतीहृद्गुहाश्रया।
शुम्भादिमथना भक्तहृद्गह्वरनिवासिनी।। 91।।
जगत्त्त्रयारणी सिद्धसङ्कल्पा कामदा तथा।
सर्वविज्ञानदात्री चानल्पकल्मषहारिणी।। 92।।
सकलोपनिषद्गम्या दुष्टदुष्प्रेक्ष्यसत्तमा।
सद्वृता लोकसंव्याप्ता तुष्टिः पुष्टिः क्रियावती।। 93।।
विश्वामरेश्वरी चैव भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी।
शिवाधृता लोहिताक्षी सर्पमालाविभूषणा।। 94।।
निरानंदा त्रिशूलासिधनुर्बाणादिधारिणी।
अशेषध्येयमूर्तिश्च देवतानां च देवता।। 95।।
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