नशे के सौदागरों पर लगाम कब?

By: Jun 17th, 2019 12:07 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

 

अब नशे के कारोबारियों पर भी आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर व्यापक प्रहार की जरूरत महसूस की जा रही है। आंकड़े तसदीक करते हैं कि वर्ष 2016-17 में जिला कांगड़ा में नशा कारोबारियों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों में 100 से ज्यादा लोग ऐसे संलिप्त पाए गए हैं, जिन्होंने नशे के कारोबार से लाखों करोड़ों की बेनामी संपत्तियां बना ली हैं…

भारतीय समाज में नशे का प्रचलन सदियों पुराना है। शुरू-शुरू में लोग नशीले पदार्थों का सेवन तनाव से मुक्ति और आनंद लेने के लिए करते हैं। शुरुआती दिनों में किसी भी तरह का नशा मजा लेने की गर्ज के चलते किया जाता है, लेकिन बाद के दिनों में यही आदत लत में तबदील हो जाती है और व्यक्ति को फिर इसे बार-बार लेने की जरूरत महसूस होती है।  कई लोग तनाव, चिंता, अवसाद, क्रोध, बोरियत, अनिद्रा अथवा शारीरिक पीड़ा आदि से मुक्ति के लिए भी नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। साधु-संन्यासियों को प्रायः चिलम अथवा सिगरेट के गुलछर्रे उड़ाते देखा जा सकता है। भारत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद में संलिप्त सभी आतंकवादियों को ऊंचे दर्जे का नशेड़ी बना कर ही पाक एजेंसियां भारतीय सीमा के अंदर धकेलती हैं, ताकि वे सब कुछ भुलाकर मानसिक रूप से गुलाम बनकर अपने आकाओं के हुक्म की तालीम करें। चूंकि सभी प्रकार के मादक द्रव्यों का प्रभाव सीमित समय के लिए होता है, इसलिए इनका सेवन करने वाले को बार-बार नशीले पदार्थों की डोज लेनी पड़ती है।

जब नशीले अथवा मादक पदार्थों के आदी व्यक्ति को थोड़ी देर के लिए नशीला पदार्थ नहीं मिलता है, तो उसे तीव्र मानसिक वेदना एवं शारीरिक कष्ट महसूस होता है और वह फिर से नशे के सौदागरों की शरण में पहुंच जाता है। हमारे समाज में अमूमन शराब, व्हिस्की, रम, बीयर, महुआ आदि का प्रचलन तो है ही, लेकिन कई अवैध मादक पदार्थ यथा भांग, गांजा, चरस, हेरोइन, ब्राउन शुगर, कोकीन और इन दिनों सर्वाधिक प्रचलित चिट्टा भी शामिल है। हिमाचल प्रदेश में कोई दिन ऐसा खाली नहीं जाता है, जब हमें समाचार पत्रों में मादक द्रव्यों की खेप ले जाने वाले लोगों के पकड़े जाने अथवा अदालतों द्वारा ऐसे मामलों में सजा सुनाए जाने की खबरें पढ़ने को न मिलती हों। आज की तारीख में जिला कांगड़ा का इंदौरा क्षेत्र के भदरोया, छन्नीबेली, सदवां और  डमटाल इलाकों में नशे के कारोबारियों की खबरें प्रमुखता से देखने-पढ़ने को मिलती हैं। अभी हाल ही में पुलिस थाना डमटाल के अंतर्गत भदरोया में पठानकोट के दो युवकों के बरामद शवों ने प्रदेश के लोगों का ध्यान बढ़ते नशे के कारोबार की ओर खींचा है। हिमाचल प्रदेश के किसी न किसी क्षेत्र में प्रतिबंधित मादक द्रव्यों की बरामदगी की खबरें अब रूटीन का हिस्सा बन चुकी हैं। छह जून को जिला सोलन पुलिस ने छह लोगों से 57.48 ग्राम चिट्टा बरामद किया है, तो दो लड़कों से क्रमशः 14.82 ग्राम और 22.21 ग्राम चिट्टे की बरामदगी की है। एनडीपीएस एक्ट के तहत नशे के कारोबारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं और कई मामलों में अदालतों द्वारा दोषियों को सख्त सजा भी सुनाई जा रही है। 07 जून को ही सेशन जज चंबा की अदालत ने चरस तस्कर की तस्करी के मामले में एक तस्कर को 11 साल की कैद की सजा और एक लाख दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। अब नशे के कारोबारियों पर भी आतंकवाद पर सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर व्यापक प्रहार की जरूरत महसूस की जा रही है। आंकड़े तसदीक करते हैं कि वर्ष 2016-17 में जिला कांगड़ा में नशा कारोबारियों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों में 100 से ज्यादा लोग ऐसे संलिप्त पाए गए हैं, जिन्होंने नशे के कारोबार से लाखों करोड़ों की बेनामी संपत्तियां बना ली हैं। नशे के कारोबारियों की बढ़ती संपत्ति, उनकी व्यावसायिक गतिविधियां, बिना कुछ किए-धरे करोड़ों की बेनामी संपत्तियों और महंगी गाडि़यों में उनकी सवारी समाज में बेरोजगार दूसरे युवाओं को भी यही धंधा अपनाने के लिए आकर्षित करती है। हिमाचल प्रदेश पुलिस और राज्य सूचना ब्यूरो ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाने के प्रति भले ही सक्रिय क्यों न हों, लेकिन ये विभाग भी नशे की रफ्तार पर पूरी तरह से रोक नहीं लगा पाए हैं। राज्य पुलिस प्रमुख डीजीपी सीताराम मरढी स्कूल, ढाबों और सार्वजनिक जगहों पर पुलिस गश्त और निगरानी की बात तो करते हैं, लेकिन यह भी कटु सत्य है कि सिवाय दो-तीन लोगों को ट्रैफिक कंट्रोल करते तो देखा जा सकता है, लेकिन वर्दीधारी हथियारबंद पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को ग्रामीण क्षेत्रों तथा कस्बों में गश्त करते अथवा आम पब्लिक के बीच मिलते-जुलते कभी भी नहीं देखा जाता है। गर्मियों के सीजन में बड़ी संख्या में सैलानी बाहर से हिमाचल की वादियों में घूमने के लिए आ रहे हैं, लेकिन कितने वाहनों या लोगों की जांच हो रही है, यह भी जांच का ही विषय है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर स्वयं सार्वजनिक रूप से मानते हैं कि हिमाचल की फिजाओं को प्रदूषित करने वाले नशे के कारोबारियों पर लगाम के लिए सख्त कानून बनाए जाएंगे, ताकि ऐसे लोगों पर मामला दर्ज होने पर उन्हें जमानत तक न मिले, जो एक अच्छी बात है।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने भी प्रदेश में बढ़ती नशा तस्करी पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह अदालत की चिंता से मुख्यमंत्री को अवगत करवाएं, ताकि वह अपने मंत्रिमंडल के साथ बैठकर नशे के खात्मे के लिए कोई कारगर नीति बना सकें। उच्च न्यायालय का मानना है कि पुलिस और सरकार कुछ नशे के तस्करों के आगे असहाय कैसे हो सकती है?

उधर देश के युवाओं में सिगरेट पीने की लत पर अफसोस जताते हुए न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की पीठ ने कहा है कि ऐसा लगता है कि देश के युवा सिगरेट को इंजॉय कर रहे हैं, उन्हें अपने स्वास्थ्य की कोई फिक्र नहीं है। युवा मासूम नहीं हैं, वे जानते हैं कि सिगरेट पीना हानिकारक है। 31 मई को देश ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया और स्कूलों के विद्यार्थियों ने मादक पदार्थों के सेवन के दुष्प्रभाव के बारे जागरूकता रैलियां निकालकर आम लोगों से नशीले द्रव्यों के सेवन से बचने की अपील भी की है। यह सर्वविदित तथ्य है कि स्वस्थ नागरिकों से ही स्वस्थ देश का निर्माण होता है। हमारी युवा पीढ़ी को कुसंगति से दूर रहकर अपनी तथा अपने परिवार की सेहत एवं खुशहाली के बारे सोचना चाहिए। सरकार को भी अपनी एजेंसियों को सक्रिय बनाकर नशे के कारोबारियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।


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