न्यायिक हिरासत में कैसे हुई मौत, चार हफ्तों में बताए सरकार
शिमला – प्रदेश हाई कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में हुई मौत के मामले में प्रदेश सरकार से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने मृतक की पत्नी द्वारा मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लेने के पश्चात उपरोक्त आदेश पारित किए। मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र के अनुसार मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उसके पति को 30 अक्तूबर 2018 को पुलिस ने घटा चौकी मंडी से गिरफ्तार किया था। इसके पश्चात उसे जुडिशल कस्टडी के लिए मंडी जेल भेज दिया गया था। पत्र के अनुसार पुलिस ने न्यायिक हिरासत में उसके पति के साथ बुरी तरह से मारपीट की। उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी। पत्र के अनुसार 31 अक्तूबर 2018 को उसे मंडी जेल से टेलीफोन कॉल आया और उसे बताया गया कि उसके पति की हालत नाजुक है। जब वह मंडी अस्पताल पहुंची तो उसे बताया गया कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है। पत्र के अनुसार उसके पति के शरीर पर चोट के निशान थे। यही नहीं उसका दांत भी टूटा हुआ था। पत्र के अनुसार मृतक की पत्नी ने पुलिस अधीक्षक मंडी, जिलाधीश मंडी व मुख्यमंत्री से जांच बाबत आग्रह किया था, परंतु आज तक इस मामले में उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। पत्र के माध्यम से मृतक की पत्नी ने न्यायालय से गुहार लगाई है कि पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए, ताकि उसके परिवार को न्याय मिल सके। प्रार्थी के अनुसार उसके अलावा मृतक की मां व तीन छोटे बच्चे हैं। इस मामले पर सुनवाई सात अगस्त को होगी।
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