रूसा फिर लौटेगा सेमेस्टर की ओर

By: Jun 28th, 2019 12:02 am

नई शिक्षा नीति लागू होने के साथ हिमाचल सरकार की बढ़ी चिंता

 शिमला -हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर शुरू की गई रूसा प्रणाली को एक बार फिर से सेमेस्टर में तब्दील करना पड़ सकता है। जी हां, अगर नई शिक्षा नीति के नियम पूरे देश में लागू हो जाते है, तो रूसा के तहत वार्षिक प्रणाली खत्म कर इसे सेमेस्टर सिस्टम में दूसरी बार सरकार व शिक्षा विभाग को शुरू करना पड़ सकता है। इससे राज्य के हजारों छात्रों को जहां बड़ा झटका लगेगा, वहीं छात्र सेमेस्टर व वार्षिक सिस्टम में ही उलझकर रह जाएंगे। बता दें कि वर्ष 2017 में राज्य सरकार ने केंद्र से सुझाव लिए बिना ही रूसा सिस्टम मेें सेमेस्टर से वार्षिक प्रणाली में लागू कर दिया, इसका नतीजा अभी तक एचपीयू प्रशासन व छात्र भुगत रहे हैं। सेमेस्टर से वार्षिक प्रणाली को लागू करने के बाद सेमेस्टर सिस्टम के तहत पड़ रहे छात्रों के रिजल्ट समय पर एचपीयू नहीं निकाल पाया। वहीं, वार्षिक सिस्टम के तहत अब छात्रों को साल बाद एक साथ आठ पेपर क्लीयर करने होंगे। दो पेपर में फेल होने वाले छात्र को दूसरी बार फर्स्ट सेमेस्टर में ही बैठना होगा। इस तरह से रूसा को केंद्र से बिना सुझाव लिए वार्षिक प्रणाली भी बिना तैयारियों के एचपीयू ने लागू कर दी थी। इन सब से उच्च शिक्षा में सुधार होने की बजाय छात्रों पर पढ़ाई का बोझ ज्यादा बढ़ गया है। वहीं अब नई शिक्षा नीति के नियमों ने सरकार व शिक्षा विभाग को एक बार फिर से सोच-विचार करने पर मजबूर कर दिया है। अगर नई शिक्षा नीति लागू हो जाती है, तो साल में दो बार बदलाव होंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार व शिक्षा विभाग नई शिक्षा नीति के नियमों को कैसे बदला जाए व केंद्र सरकार के सामने अपने पक्ष को किस तरह रखा जाए, इस पर मंथन कर रहा है। बता दें कि वर्ष 2013 में जब राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली शुरू हुई थी, तो हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने इसे सबसे पहले अडॉप्ट किया था। बजट की कमी झेल रहे एचपीयू ने बजट की चाह में रूसा सिस्टम शुरू तो कर दिया, लेकिन बिना तैयारियों के यह अभी तक पटरी पर नहीं उतर पा रहा है। रूसा सिस्टम के तहत यूजी के रिजल्ट में काफी गिरावट आ रही है। जब से रूसा सिस्टम लागू हुआ है, तब से लेकर अभी तक एक बार भी सौ व 90 फीसदी रिजल्ट तक एचपीयू का रेशो नहीं बढ़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि शिक्षा विभाग व सरकार के  शिक्षा के नए प्रयोग एजुकेशन में क्वालिटी लाने की बजाय उसके स्तर को और भी गिरा रहे हैं। फिलहाल केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति ने अब कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां तक कि हिमाचल प्रदेश के छात्रों ने तो इस ड्राफ्ट के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है। अगर नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को मंजूरी मिल जाती है, तो ऐसे में पूरे देश में एक ही तरह की शिक्षा व्यवस्था लागू करनी होगी। ऐसे में सवाल यह है कि एचपीयू क्या एक  साल बाद फिर से वार्षिक से सेमेस्टर सिस्टम को सफल रूप से लागू कर पाता है या नहीं ।

रूसा के तहत मिल चुके हैं 250 करोड़ 

हिमाचल प्रदेश की उच्च शिक्षा को अभी तक भारत सरकार से 250 करोड़ की ग्रांट मिल चुकी है। इससे पहले कालेजों को भारत सरकार से यह बजट नहीं मिलता था। बताया जा रहा है कि एचपीयू ने वर्ष 2013 में बजट लेने के लिए रूसा को बिना तैयारी के लागू किया था।

 


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