हिमाचल में जमीन लेना और आसान

By: Jun 29th, 2019 12:12 am

निवेश लुभाने को जयराम सरकार ने धारा-118 के नियम किए सरल, ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान

शिमला -हिमाचल की जयराम सरकार ने धारा-118 के नियमों में सरलीकरण कर ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान कर दिया है। इससे पहले ऑफलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदकों को डीसी ऑफिस में हार्ड कॉपी के साथ अप्लाई करना पड़ता था। सरलीकरण की अधिसूचना जारी कर राजस्व विभाग ने इसके लिए वेब पोर्टल तैयार कर लिया है। राज्य सरकार ने चार अहम बिंदुओं में बदलाव करते हुए इसके नियमों की पेचीदगियों को दूर किया है। पांच साल बाद राज्य सरकार ने धारा-118 के नियमों का सरलीकरण किया है। हालांकि नियमों में किसी तरह का बदलाव नहीं है। इसमें फालतू की एनओसी की शर्तों को हटाया गया है। इसके अलावा स्वीकृति के लिए टाइमबाउंड कर सख्त नियम तय किए गए हैं। गैर-कृषक के लिए हिमाचल में जमीन खरीदने का क्राइटेरिया और पर्पज पहले की तरह निर्धारित हैं। हालांकि नियमों के सरलीकरण में सबसे बड़ी राहत निवेशकों को दी गई है। सरकारी विभागों को नियमों के तहत बांधा गया है। सबसे अहम बात है कि ऑनलाइन प्रक्रिया से भी आवेदन संभव होगा। इससे भू-माफिया को सबसे बड़ा झटका लगा है। नियमों के सरलीकरण में सबसे बड़ा प्रावधान 10 करोड़ से ज्यादा के निवेशकों के लिए किया गया है।

खसरा नंबर-मुहाल दर्शाना जरूरी नहीं 

धारा-118 के तहत जमीन खरीदने के लिए अब खसरा नंबर तथा मुहाल दर्शाना जरूरी नहीं होगा। आवेदन में स्थान तथा यह बताना जरूरी होगा कि कितना बीघा जमीन खरीदनी है। इससे पहले बेचने वाले का नाम, जमीन की किस्म तथा भूखंड का खसरा नंबर-मुहाल इत्यादि दर्शाना पड़ता था। इस जटिल प्रक्रिया के कारण कई मामलों में आवेदन मिलने के बाद खरीददार पलट जाते थे। इसके चलते ब्लैकमेलिंग और भू-माफिया सक्रिय रहता था।

विभागों से एनओसी की दौड़ खत्म

धारा-118 के मामलों में असेंशियलिटी सर्टिफिकेट (ईसी) से पहले किसी विभाग की एनओसी नहीं लेना पड़ेगी। इससे पहले जमीन खरीदने से पहले ही आईपीएच से लेकर पीडब्ल्यूडी तक दर्जनों विभागों से एनओसी लेना जरूरी था। अब अनुमति मिलने के बाद एक बार ही एनओसी लेनी होगी। इस सरलीकरण के कारण जमीनी सौदों में बिचौलियों का हुक्का-पानी बंद हो जाएगा। इससे धारा-118 के मामलों में तेजी के साथ पारदर्शिता भी आएगी।

बड़े मामलों में विभाग दिलाएंगे अनुमति

सिंगल विंडो में जाने वाले 10 करोड़ निवेश वाले मामलों में सरकारी विभाग धारा-118 की अनुमति दिलाएंगे। इसके लिए निवेशक संबंधित विभाग में आवेदन करेंगे। इस आधार पर निवेश से जुड़ा विभाग धारा-118 की अनुमति के लिए राजस्व विभाग में आवेदन करेगा। अहम है कि इसके लिए निवेशक को आवेदन की आवश्यकता नहीं होगी। इस नियम के सरलीकरण से सरकार ने निवेश खींचने और लेन-देन के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं।

सरकार ने समयसीमा में बांधे अफसर

धारा-118 में राज्य सरकार ने डीसी से लेकर विभागीय सचिवों तक को टाइमबाउंड कर दिया है। जिला के उपायुक्तों को अब 15 दिन के भीतर मामलों की औपचारिकताएं पूरी कर केस राज्य सरकार को भेजने के लिए बाध्य कर दिया है। राजस्व विभाग को सात दिन के भीतर इन मामलों पर अपना फैसला देना होगा। इससे पहले राजस्व विभाग तथा उपायुक्त को एक-एक माह का टाइमबाउंड था। अब निवेशक समयबद्ध तरीके से अपनी योजनाओं को अंजाम दे सकते हैं।

 


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