ज़ीरो बजट खेती का कमाल

By: Jun 8th, 2019 12:02 am

कृषि विश्वविद्यालय के शुरुआती शोध में 31 फीसदी ज्यादा हुई मूली की पैदावार

 पालमपुर —प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में शून्य लागत प्राकृतिक खेती पर प्रारंभिक शोध में आशाजनक परिणाम देखने को मिले हैं। प्रारंभिक शोध में जैविक खेती के अंतर्गत मूली में 31 प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त हुई। इसी तरह बंद गोभी में दस प्रतिशत, लेकिन गोभी में कोई अलग परिणाम नहीं मिले। कुछ दूसरी सब्जियों जैसे ब्रॉकली, चाइना गोभी तथा मटर में जैविक खेती के मुकाबले शून्य लागत खेती में पांच से दस प्रतिशत कम उपज प्राप्त हुई। लहसुन, मसूर, गेहूं, चना, गोभी सरसों तथा तिलहन में परिणाम संतोषजनक रहे। इन फसलों में उपज या तो ज्यादा रही या शून्य लागत खेती में थोड़ी कम रही। प्रथम वर्ष में ही विश्वविद्यालय लगभग एक दर्जन देशी गाय पालने में सफल रहा और प्रदेश भर से आधा दर्जन स्थानीय पशु खरीदे गए, क्योंकि देशी गाय शून्य लागत प्राकृतिक खेती का एक आधार है, इसलिए विश्वविद्यालय ने दो साहीवाल गाय खरीदी और देश की प्रसिद्ध पारंपरिक गीर व रेडसिंधि गाय खरीदने की प्रक्रिया जारी है। कृषि विवि के अंतर्गत सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में प्राकृतिक खेती पर शोध कार्य शुरू हो चुका है और केवीके कुल्लू व ऊना में विशेष तौर पर प्राकृतिक लागत खेती पर कार्य किया जा रहा है। सभी कृषि विज्ञान केंद्रों की लगभग 20 प्रतिशत भूमि प्राकृतिक लागत खेती के अंतर्गत लाई गई है। इन केंद्रों पर समय-समय पर किसानों को भ्रमण करवाया जाता है। पीएचडी के 13 तथा एमएससी के 18 छात्रों के शोध कार्य में प्राकृतिक खेती शामिल की गई है। बीएससी कृषि ऑनर्स के स्नातक स्तर के ग्रामीण कार्य अनुभव में प्राकृतिक खेती के अंतर्गत बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत पर छात्र प्रदर्शन लगा रहे हैं। प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद स्तर पर परा-स्नातक छात्रों के लिए कोर्स शुरू किए जाने को प्रयासरत है, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद इसके लिए एक रेगुलेटरी संस्था है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App