आज अदालती कामकाज ठप

By: Jul 25th, 2019 12:01 am

प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने के फैसले के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध-प्रदर्शन करेंगे वकील

शिमला – राज्य सरकार द्वारा प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने के फैसले के खिलाफ प्रदेश भर में वकील 25 जुलाई को अदालती कामकाज से अलग रहेंगे।  ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के सदस्यों के आह्वान पर पूरे प्रदेश के वकील राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और अपना रोष जताने के लिए सभी वकील अदालती कामकाज से अलग रहेंगे। वकीलों की 31 सदस्यीय एक्शन कमेटी ने प्रदेश की सभी बार एसोसिएशन से संपर्क साधने के पश्चात 25 जुलाई के लिए प्रदेश भर में विरोध दर्ज करने का आग्रह किया है। अधिवक्ताओं का कहना है कि सरकार का फैसला गलत व एकतरफा है।  ट्रिब्यूनल को केवल ट्रांसफर के मामलों पारित स्थगन आदेशों की एवज में बंद करना पूरी तरह से राज्य सरकार के तानाशाही रवैये को दर्शाता है। वकीलों का कहना है कि ट्रिब्यूनल में स्थगन आदेश कानून के सिद्धांतों के मुताबिक ही होते हैं। सरकार का हर ट्रांसफर आर्डर किसी एमएलए के डीओ नोट या सिफारिश पर आधारित होता है और कानून इस तरह के ट्रांसफर आर्डर को मान्यता नहीं देता है। हरियाणा की भाजपा सरकार हिमाचल के ट्रिब्यूनल की तर्ज पर हरियाणा में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल खोलने का निर्णय ले रही है, जबकि हमारी सरकार इसे बंद करने पर तुली है। ट्रिब्यूनल से मिले आंकड़ों के अनुसार अब तक ट्रिब्यूनल ने पुनर्गठन के पश्चात फरवरी 2015 से अब तक लगभग 24 हजार के लगभग मामलों का निपटारा कर दिया है, जबकि 34000 के लगभग मामले दायर हुए। केवल 11 हजार के लगभग मामले लंबित पड़े हैं। हाई कोर्ट से आए 6600 के लगभग मामलों में से 2000 के लगभग मामलों का निपटारा कर लिया गया है। कई मामलों में सुनवाई खंडपीठ न होने की वजह से नहीं हो रही है, क्योंकि लंबे समय से प्रशासनिक सदस्यों के पद रिक्त पड़े हैं। दो नामों की सिफारिश के बावजूद सरकार ने उन्हें नियुक्ति देने के बारे में नहीं सोचा। दरवाजे तक न्याय वाले विचार को लागू करते हुए ट्रिब्यूनल का सर्किट बैंच हर महीने एक सप्ताह के लिए मंडी व एक सप्ताह के लिए धर्मशाला जाता है।

मुख्यमंत्री से उठाया मसला

हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिला। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि ट्रिब्यूनल को भंग करने के निर्णय को वापस लिया जाए। वकीलों ने राज्य सरकार के इस निर्णय से कर्मियों पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के बारे में भी मुख्यमंत्री को जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा की सरकार ने जनभावनाओं को मद्देनजर रख यह निर्णय लिया है।


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