आत्म पुराण

By: Jul 20th, 2019 12:05 am

जो पुरुष दूसरों के नेत्र की पुतली में अथवा दर्पण आदि में अपने प्रतिबिंब का मस्तक नीचे की तरफ देखने का संशय करे उसका मृत्यु काल निकट ही समझना चाहिए। हे शिष्य! दोनों कानों को अपनी दोनों अंगुलियों से बंद कर लेने पर जो प्राणों की ध्वनि रूप शब्द सुनाई पड़ता है, जब उसका सुनना बंद हो जाता है, तो मृत्यु निकट होती है। जिस पुरुष को अग्नि मयूर के कंड के समान नीली दिखाई दें, जो मेघों के बिना ही आकाश में विद्युत को देखने लगे, जिसे अग्नि से रहित भूमि में अग्नि जलती दिखाई दे, वह भी अधिक समय तक जीवित नहीं रहता। यदि कोई दुबला-पतला मनुष्य एकाएक स्थूल हो जाए या स्थूल देर वाला पतला हो जाए तो वह एक वर्ष में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। इसी प्रकार कोई क्रोधी स्वभाव वाला व्यक्ति अकस्मात शांत स्वभाव का हो जाए अथवा शांत स्वभाव वाला क्रोधी हो जाए, कोई पुरुष किसी वृक्ष के अग्रभाग में गंधर्व नगर देखे, अथवा अपने शरीर में काले, पीले रंग को देखे, तो ऐसे व्यक्ति एक वर्ष में काल के ग्रास हो जाते हैं। यदि कौआ, गिद्ध, स्यार आदि मांस भक्षी प्राणी किसी व्यक्ति की तरफ खाने की इच्छा से दौड़े तो वह भी एक वर्ष में काल कवलित हुआ समझना चाहिए। हे शिष्य! जो पुरुष अपने काले वस्त्र को सफेद होता देखे अथवा सफेद को काला होता देखे, जो सूर्य और चंद्रमा को आकाश से गिरता देखे अथवा आकाश में स्थित पदार्थ भूमि के ऊपर देखे और भूमि के पदार्थ आकाश में देखे वह छह महीने में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। जो पुरुष घंटा का शब्द न सुन सके अथवा कीचड़ या धूल वाली पृथ्वी पर जिसके पैर का चिन्ह खंडित दिखाई दे, वह भी छह मास में परलोकगामी हो जाता है। अब तीन मास में मृत्यु की सूचना देने वाले चिन्हों के विषय में सुनो। अपनी आंख को एक तरफ अंगुली से दबाने पर खद्योत के समान सूक्ष्म कण दिखाई पड़ते हैं, जिस पुरुष के ऐसे सूक्ष्म कण बिना आंख के दबाए स्वयंमेव दिखाई पड़ें, उसका जीवन तीन मास ही शेष समझना चाहिए। हे शिष्य! जिस पुरुष की नेत्रादिक इंद्रियां पदार्थों को अकस्मात पहले की तरह देखने में असमर्थ हो जाएं, उसका अंत एक महीने में हो जाता है। जिस पुरुष के मस्तक पर अग्नि सी लौ उठती जान पड़े, जो दिन में उल्का पात होता देखे, अथवा जिसे रात्रि में इंद्र धनुष दिखाई दे वह भी एक महीने में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। इसी प्रकार जिस मनुष्य को दर्पण में अपना प्रतिबिंब दिखाई न दे, जो कौआ, हंस अथवा मोर को मैथुन करता देखे तो वह भी एक मास में परलोकगामी हो जाता है, जो मनुष्य रूखे पदार्थों को चिकना देखे, जो ठंडे पदार्थों को गर्म और गर्म को ठंडा अनुभव करे, तो उसका जीवन एक माह से अधिक नहीं माना जा सकता। हे शिष्य! जो मनुष्य अकस्मात भूमि में छिद्र हुआ देखे, अथवा जो भूमि के छिद्र से संगीत आदि के शब्द सुने तो वह पंद्रह दिन में ही मृत्यु को प्राप्त होता है। जो मनुष्य अपनी जिह्वा और नाक को नहीं देख पाता अथवा जिस व्यक्ति का आधा अंग तो गर्म रहता हो शेष आधा ठंडा रहता हो अथवा जिसकी नाक टेढ़ी पड़ जाए वह सात दिन में ही जीवन को खो देता है। जो मनुष्य बैल या भैसा पर सवार भयंकर पुरुष को हाथ में दंड लिए हुए अथवा लाल रंग के केशों वाली स्त्री को हाथों पाश लिए देखे, तो उसकी मृत्यु उसी दिन हो जाती है।


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