आर्ट का ध्यान से संबंध

By: Jul 13th, 2019 12:05 am

ओशो

आर्ट को दो भागों में बांटा जा सकता है। 99 प्रतिशत आर्ट सब्जेक्टिव आर्ट है। केवल एक प्रतिशत आर्ट ऑब्जेक्टिव आर्ट है। 99 प्रतिशत सब्जेक्टिव आर्ट का ध्यान से कोई संबंध नहीं है। केवल एक प्रतिशत ऑब्जेक्टिव आर्ट ध्यान पर आधारित होते हैं। सब्जेक्टिव आर्ट का मतलब यह है कि आप अपनी आत्मीयता को अपने सपने, अपनी कल्पना, अपने ख्वाब के रूप में कैनवास पर उड़ेल रहे हैं। यह आपकी मानसिक कल्पना होती है। हर प्रकार के रचनात्मक आयाम जैसे कविता, संगीत, इनमें भी बिलकुल यही होता है। आपका इस बात से कोई मतलब नहीं होता है कि आपकी पेंटिंग को कौन देखने वाला है या देखने के बाद उसका क्या होगा। इन सब बातों से आपका कोई लेना देना नहीं होता है।

पिकासो की तस्वीरें

पिकासो की तस्वीरों में अकसर एक तस्वीर पिकासो की ही अन्य तस्वीर को देखती है। वह एक महान चित्रकार हैं, लेकिन सब्जेक्टिव आर्ट में। उनकी तस्वीरें देखने पर आप बीमार जैसा महसूस करना शुरू कर देंगे, आपको चक्कर आने लगेगा और आपके मष्तिस्क में एक प्रकार की उत्तेजना होने लगती है। आप पिकासो की तस्वीरें बहुत ज्यादा समय तक नहीं देख सकते। आप उस तस्वीर से दूर जाना चाहेंगे क्योंकि वह आपकी मानसिक शांति को भंग कर रही है। आपका मन एक अराजकता की अवस्था में आ जाता है। यह एक भयानक सपने जैसा होता है, लेकिन 99 प्रतिशत आर्ट इसी श्रेणी में आता है, लेकिन ऑब्जेक्टिव आर्ट इसके बिलकुल विपरीत है। इसमें व्यक्ति को कुछ भी बाहर निकालना नहीं है, बल्कि खुद को बस खाली करना है। इस शांति में और खालीपन में प्यार और करुणा का जन्म होता है और इस शांति से रचना के जन्म लेने की संभावना होती है। ये शांति, प्यार और करुणा ही ध्यान की विशेषताएं हैं।

ऑब्जेक्टिव आर्ट

ध्यान आपको आपके केंद्र की और लाता है और आपका केंद्र, केवल आपका केंद्र नहीं है, बल्कि यह पूरे अस्तित्व का केंद्र है। केवल हम सब परिधि पर अलग-अलग हैं। जैसे ही हम केंद्र की ओर चलना शुरू करेंगे, हम सब एक हो जाएंगे। हम सब अनंत काल का एक हिस्सा हैं, परमानंद का चमकदार अनुभव जो कि शब्दों से परे है। कुछ ऐसा जो आप हो सकते हैं, लेकिन इसे व्यक्त करना काफी मुश्किल होता है। इसे साझा करने की आपको बहुत इच्छा होती है,क्योंकि आपके चारों और मौजूद लोग भी बिलकुल वैसे ही अनुभव की तलाश में हैं। यह आपके पास है और इसे पाने का रास्ता भी आपको पता है। ये सब लोग उस चीज की तलाश हर ओर कर रहें है, केवल खुद को छोड़कर जहां यह है। आप उनके कानों में यह चिल्ला-चिल्ला कर बताना चाहेंगें। आप उन्हें झंझोड़कर कहना चाहेंगे, अपनी आंखें खोलो। तुम लोग कहां जा रहे हो। तुम जहां भी जाओगे, केवल खुद से ही दूर जाओगे। वापस लौट आओ और अपने भीतर झांको। जितने अंदर तक तुम झांक सकते हो। साझा करने की यह इच्छा रचना कहलाती है। जब तक आप रचयिता हैं, तब तक आपको परम आनंद का सुख कभी प्राप्त नहीं होगा। रचना करने से आप केवल ब्रह्मांड की महान रचनात्मकता का हिस्सा बन गए है, लेकिन रचयिता बनने के लिए ध्यान एक बुनियादी जरूरत है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App